देवभूमि का अमृत: सिर्फ स्वास्थ्य नहीं बल्कि रोजगार का भी जबरदस्त जरिया बना किलमोड़ा
उत्तराखंड में किलमोड़े का जूस तैयार हो रहा है, कल तक जिस किलमोड़े को लोग बेकार समझते थे, अब वो रोजगार का जरिया बन गया है...
Jul 6 2019 8:22PM, Writer:कोमल नेगी
पहाड़ों में पाया जाने वाला किलमोड़ा अब ग्रामीणों की तकदीर बदलेगा। पर्वतीय इलाकों में मिलने वाले किलमोड़े के पौधे का हर हिस्सा गुणों की खान है। इसमें जीवनदायी गुण हैं। धीरे-धीरे ही सही लोग इसके गुणों के बारे में जानने लगे हैं। ये मेडिशनल प्लांट के तौर पर तो इस्तेमाल हो ही रहा है, साथ ही अब इसका जूस भी निकाला जा रहा है। हल्द्वानी में अलख स्वायत्त सहकारिता नाम की संस्था इस दिशा में काम कर रही है। धारी विकासखंड में किलमोड़ा के फलों से जूस तैयार हो रहा है। ये जूस इतना लोकप्रिय हो रहा है कि इसकी डिमांड केवल उत्तराखंड ही नहीं, दूसरे राज्यों से भी मिल रही है। किलमोड़ा एक औषधीय पौधा है, जिसकी जड, तना, पत्ती, फूल और फल औषधीय गुणों से भरे हैं। एक वक्त था जब लोग किलमोड़े को कंटीली झाड़ी समझ काट कर फेंक दिया करते थे, पर अब लोग इसका महत्व जानने लगे हैं। किलमोड़े की इसी झाड़ी से लोगों के घरों में रुपये बरस रहे हैं। आगे जानिए इसके फायदे
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किलमोड़े में एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ट्यूमर गुण हैं। इसका इस्तेमाल डायबिटीज के इलाज में होता है। डॉक्टर भी कहते हैं कि अगर कोई दिनभर में इसकी 5 से 10 पत्तियों का सेवन करता है, तो शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद मिलती है। हल्द्वानी में जो महिलाएं अलख स्वायत्त सहकारिता संस्था से जुड़ी हैं, उन्हें किलमोड़ा जमा करने और उसका जूस निकालने के लिए सौ रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भुगतान किया जा रहा है। यानि किलमोड़े के जूस से होने वाली आय का बड़ा हिस्सा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में खर्च हो रहा है। यहां खास विधि से किलमोड़े का जूस बनाया जाता है, जिससे उसके पौष्टिक तत्व बरकरार रहते हैं। संस्था की तरफ से किलमोड़े के पौधे लगाने और उन्हें संरक्षित करने का काम भी किया जा रहा है। अमेरिका के वैज्ञानिक भी किलमोड़े की खूबियों पर रिसर्च कर रहे हैं। उम्मीद है पहाड़ के दूसरे क्षेत्रों में भी ऐसे प्रयास होंगे। जिससे लोगों को रोजगार का नया जरिया मिलेगा।