पहाड़ के अजीत डोभाल को मिली बड़ी जिम्मेदारी, अब कश्मीर में संभालेंगे मोर्चा
इस वक्त अर्धसैनिक बलों के करीब एक लाख जवान जम्मू-कश्मीर में मोर्चा संभाले हुए हैं। इस बीच अजीत डोभाल भी वहां जा रहे हैं।
Aug 5 2019 4:28PM, Writer:आदिशा
मोदी सरकार के फैसले के बाद से जम्मू-कश्मीर में हलचल तेज हो गई है। एक बार फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल आज श्रीनगर पहुंच सकते हैं। अजीत डोभाल को राज्य में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेना है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने इस पर ट्वीट भी किया है। वो भी हम आपको दिखा रहे हैं। इस वक्त हालातों को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में कड़े इंतजाम किए गए हैं। इस वक्त अर्धसैनिक बलों के करीब एक लाख जवान जम्मू-कश्मीर में मोर्चा संभाले हुए हैं। इस वक्त वहां हलचल तेज है और पूरे राज्य में धारा 144 लागू कर दी गई है।
आपको याद होगा कि कश्मीर पर फैसला लेने से ठीक एक दिन पहले पीएम मोदी ने अमित शाह और अजित डोभाल के साथ एक मीटिंग की थी। अजीत डोभाल एक ऐसे जांबाज अधिकारी रहे हैं, जिन्हें बलूचिस्तान और कश्मीर के मुद्दों पर बेहद ही शानदार पकड़ है। कश्मीर में धारा 370 पर बड़ा फैसला लेने से पहले सबसे बड़ा काम था सुरक्षा का...इस काम को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से बेहतर कौन कर सकता है। अजित डोभाल की प्लानिंग पहले ही काम कर चुकी थी। उधर आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने जैसलमेर दौरा रद्द कर दिया। आर्मी को कश्मीर में तैनात किया गया। 40 हजार से ज्यादा जवान कश्मीर में तैनात हुए और अमरनाथ यात्रियों को एयरलिफ्ट करने के लिए सेना का सी-17 विमान घाटी में भेजा गया। ये सारी प्लानिंग और काम सिर्फ और सिर्फ अजीत डोभाल जैसे मास्टरमाइंड की है।
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देवभूमि के अजित डोभाल ने जीता मोदी का भरोसा, कश्मीर में धारा 370 का खात्मा..जानिए पूरी खबरपहले ये सुनिश्चित किया गया कि कहीं भी कोई हिंसा न हो सके। फिर ये सुनिश्चित किया गया कि अमरनाथ यात्री सलामत रहें। इसके बाद हंगामा खड़ा करने की कोशिश करने वाले चेहरों को नज़रबंद कर दिया गया। अजीत डोभाल की ये प्लानिंग काम कर गई। सेना प्रमुख बिपिन रावत के साथ शानदार तालमेल बिठाते हुए बिना किसी को बताए ये सारे काम हो गए थे। इस वक्त जम्मू और कश्मीर दोनों ही शहरों में इंटरनेट और मोबाइल सेवा ठप की गई है। ये पहला मौका है, जब घाटी में इंटरनेट सेवाओं और मोबाइल सेवाओं के साथ लैंडलाइन सर्विस को भी बंद कराया गया है। इसे आप कुछ इस तरह से समझ सकते हैं कि करगिल युद्ध के दौरान भी लैंडलाइन सर्विस बंद नहीं की गई थी। श्रीनगर और जम्मू में आम लोगों को बाहर ना निकलने के लिए कहा गया है। लोगों के ग्रुप में एक साथ बाहर निकलने पर भी रोक लगाई गई है। सुरक्षाबलों को सैटेलाइट फोन दिए गए हैं, ताकि किसी भी स्थिति को संभाला जा सके।