उत्तराखंड के 9 जिलों के लिए खुशखबरी, सरकारी अस्पतालों में शुरू होगी ये हाईटेक सुविधा
उत्तराखंड के 9 जिलों में जल्द ही आईसीयू की सुविधा मिलने लगेगी, स्वास्थ्य विभाग की कोशिशें जारी हैं...
Aug 8 2019 6:32PM, Writer:कोमल
उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए लगातार काम हो रहा है। प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की कवायद में जुटी है। इसी कड़ी में प्रदेश के नौ जिलों में इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) स्थापित करने की योजना है। ताकि आपातकालीन स्थिति में मरीज को जल्द से जल्द बेहतर इलाज मिल सके। उनकी जान बचाई जा सके। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और विश्व बैंक पोषित योजनाओं के जरिए 9 जिलों में आईसीयू बनाने के लिए बजट दिया जाएगा। जिला अस्पतालों में आईसीयू होंगे तो गंभीर स्थिति में मरीजों को इलाज के लिए शहर नहीं लाना पड़ेगा। वो अपने क्षेत्र में रहकर ही बेहतर इलाज करा सकेंगे। समय पर इलाज मिलेगा तो ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाना संभव होगा। हार्ट अटैक या दूसरी गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को समय पर इलाज मिल सकेगा। आईसीयू यूनिट में गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों की 24 घंटे गहन देखभाल होती है। आईसीयू वार्ड में वेंटिलेटर, फीडिंग ट्यूब्स, हार्ट मॉनिटर, ड्रेंस और कैथेटर समेत सभी आधुनिक उपकरण लगे होते हैं, जिनके जरिए मरीज के स्वास्थ्य पर 24 घंटे नजर रखी जाती है। आगे जानिए इस काम की शुरुआत किन 9 जिलों से होने जा रही है।
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स्वास्थ्य विभाग जल्द ही नौ जिलों में आईसीयू यूनिट बनाएगा। ये जिले कौन-कौन से हैं, उनके बारे में भी बता दें। स्वास्थ्य विभाग बागेश्वर, चमोली, अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग, ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार, चंपावत, नैनीताल और दून मेडिकल कॉलेज में आईसीयू सेंटर खोलेगा। कोशिशें जारी हैं, उम्मीद है इनके अच्छे नतीजे जल्द ही देखने को मिलेंगे। आईसीयू यूनिट बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग विश्व बैंक पोषित योजनाओं और एनएचएम के जरिए बजट जुटाएगा। चलिए अब आपको उत्तराखंड में आईसीयू की स्थिति के बारे में बताते हैं। इस वक्त सूबे के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों समेत चार जिलों के जिला अस्पतालों में आईसीयू की सुविधा है। हल्द्वानी, दून और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के साथ ही पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, टिहरी और पौड़ी में आईसीयू की सुविधा शुरू कर दी गई है। पौड़ी और पिथौरागढ़ के जिला अस्पताल में हंस फाउंडेशन की मदद से आईसीयू वॉर्ड बनाया गया है। पर मरीजों की संख्या के हिसाब से ये काफी नहीं हैं। आईसीयू में बेड कम पड़ रहे हैं। मरीजों को समय रहते इलाज नहीं मिल पाता। यही वजह है कि अब प्रदेश सरकार हर जिले के अस्पताल में आईसीयू वार्ड स्थापित करने के लिए प्रयासरत है।