बादल फटने की वजह से उत्तरकाशी के कई गांव तबाह हो गए, अब तक 9 लोगों की लाशें मलबे से निकाली गई हैं, कई अब भी लापता हैं...
उत्तराखंड में बारिश से तबाही की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं। नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बादल फटने की वजह से हुए हादसों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सड़कें भूस्खलन की भेंट चढ़ गईं। सैकड़ों गांवों का एक-दूसरे से संपर्क टूट गया है। लगातार जारी बारिश ने हर तरफ हाहाकार मचाया हुआ है। लोग डरे हुए हैं। भगवान से बारिश का प्रकोप शांत करने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। सबसे पहले बात करते हैं उत्तरकाशी की, जहां टिकोची, माकुली और दुचाणू में बादल फटने की घटना सामने आई है। यहां मची तबाही ने साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा की कड़वी यादें ताजा कर दीं। मोरी के आराकोट और माकुड़ी में बादल फटने के बाद आए सैलाब में कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी। 9 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। उधर एएनआई के मुताबिक उत्तरकाशी में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है। दर्जनों मकान सैलाब की भेंट चढ़ गए। अब भी 17 लोगों के मलबे मे दबे होने की सूचना है।
हर तरफ मौत का मंजर
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बिजली और पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। रास्ते टूटे हुए हैं, जिस वजह से बचाव टीमों को मौके पर पहुंचने में देर लगी। माकुड़ी गांव में मलबे में दबे 5 लोगों के शव निकाले गए। गांव के दो लोग अब भी लापता हैं।
बारिश से भारी तबाही
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आराकोट में भी तीन शव मलबे से निकाले गए। आराकोट में दो लोगों के बाढ़ में बहने की खबर है। जो इलाके हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटे हैं, वहां भारी तबाही हुई है। चमोली से लेकर पिथौरागढ़ तक हाहाकार मचा है।
उत्तराखंड में इतने रास्ते बंद
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देहरादून में 28, रुद्रप्रयाग में 14, पिथौरागढ़ में 15, चमोली में 26, पौड़ी में 22, चंपावत में 10, बागेश्वर में 11 और नैनीताल में 11 ग्रामीण संपर्क मार्ग बंद हैं। उत्तरकाशी से सटे त्यूनी में 35 दुकानों और मकानों को खाली करा लिया गया है। टौंस नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है।
संचार नेटवर्क भी हुआ ध्वस्त
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संचार नेटर्वक ध्वस्त होने की वजह से सूचनाएं एक जगह से दूसरी जगह नहीं पहुंच पा रहीं। कुल मिलाकर हर जगह बस तबाही ही तबाही नजर आ रही है। हमारी आपसे अपील है कि संकट के इस वक्त में पीड़ित लोगों की मदद करें।
सड़कें टूटीं, गांवों का कनेक्शन कटा
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सड़कें टूटी होने या दूसरी समस्याओं की सूचनाएं प्रशासन तक पहुंचाएं, ताकि प्रभावित इलाकों में जल्द से जल्द राहत पहुंच सके। अफवाहों से बचें। गलत सूचनाओं को फैलने से रोकें।