image: Nasa shocked to see powar of kasar devi temple

देवभूमि का कसार देवी मंदिर, यहां की अद्भुत शक्तियां जानकर नासा भी हैरान है

अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर के सामने विज्ञान भी नतमस्तक नजर आता है, इसके पीछे एक खास वजह है...
Sep 16 2019 10:39AM, Writer:Komal

उत्तराखंड में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं, जिनका ऐतिहासिक, पौराणिक महत्व तो है ही, वैज्ञानिक महत्व भी है। देवभूमि के ये मंदिर आज भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य और अनसुलझी पहेली बने हुए हैं। इन मंदिरों के आगे विज्ञान भी नतमस्तक नजर आता है। इन्हीं में से एक है अल्मोड़ा का कसार देवी मंदिर। ये वो मंदिर है, जिसने विख्यात साधु-संतों को जीवन का सार बताया, उन्हें दिव्यता के आशीर्वाद से नवाजा। स्वामी विवेकानंद का भी कसार देवी मंदिर से गहरा रिश्ता रहा है। वो यहां आकर असीम शांति का अहसास करते थे। कसार देवी मंदिर अल्मोड़ा से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काषय यानि कश्यप पर्वत पर स्थित ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। इतिहासकारों का मानना है कि ये मंदिर दूसरी शताब्दी में बना है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में ऐसी अद्भुत शक्तियां हैं, जिसने स्पेस एजेंसी नासा की भी नींद उड़ा दी है। इसकी वजह क्या है ये भी बताते हैं।

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वैज्ञानिक मानते हैं कि मंदिर के आस-पास का क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। यानि ये दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है, जहां खास चुंबकीय शक्तियां हैं। ये शक्तियां मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा देती हैं। नासा के वैज्ञानिक इन शक्तियों को समझने के लिए लगातार अध्ययन कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तराखंड के कसार देवी मंदिर, पेरू में स्थित माचू-पिच्चू और इंग्लैंड के मशहूर स्टोनहेंज में अद्भुत समानताएं हैं। ये तीनों जगहें अद्भुत चुंबकीय शक्तियों का केंद्र हैं। साल 1890 में स्वामी विवेकानंद भी यहां साधना करने आए थे। यही नहीं फेमस बैंड बीटल्स के सदस्यों ने भी यहां ध्यान लगाया था। पौराणिक कहानियां कहती हैं कि ये वही जगह है, जहां मां भगवती ने शुंभ-निशुंभ दानवों का वध करने के लिए कात्यायनी रूप धरा था। साधकों के लिए ये जगह बेहद खास है। मंदिर में दर्शन के लिए हर दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। कहते हैं इस मंदिर में जो भी आता है, वो सकारात्मक ऊर्जा लेकर लौटता है।


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