उत्तराखंड में दो से ज्यादा बच्चों वाले नहीं लड़ेंगे पंचायत चुनाव? सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार
नैनीताल हाईकोर्ट ने दो से ज्यादा संतान वालों को पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी है, इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी...
Sep 20 2019 11:17AM, Writer:कोमल नेगी
नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में दो से ज्यादा बच्चों वाले प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने पर लगी रोक हटा दी है। इस फैसले से याचिकाकर्ता खुश हैं, पंचायत चुनाव की तैयारी में जुटे हैं, पर उनके अरमानों को तगड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि हाईकोर्ट के फैसले को राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है। दो से ज्यादा बच्चों वाले प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि फिलहाल प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के आदेश मिलने का इंतजार कर रही है। न्याय विभाग से इस संबंध में सलाह ली जाएगी। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। यहां आपको पूरा मामला भी जानना चाहिए। दरअसल राज्य सरकार ने इसी साल पंचायती राज अधिनियम में संशोधन किया था। कई नियम बदले गए, नए नियम लाए गए।
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पदों के हिसाब से प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता तय की गई थी। साथ ही जिन प्रत्याशियों के दो से ज्यादा बच्चे होंगे, उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई थी। प्रदेश सरकार को संशोधन पर सहमति बनाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। इसी साल जुलाई में संशोधित अधिनियम को लागू कर दिया गया। तब से इसका विरोध हो रहा था। कई लोगों ने संशोधित पंचायत एक्ट के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने भी कह दिया कि संशोधित अधिनियम के प्रावधान 25 जुलाई 2019 से लागू माने जाएं। हाईकोर्ट के इस फैसले से दो से ज्यादा बच्चे वाले उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया। हाईकोर्ट का फैसला आते ही शासन में हलचल होने लगी। सीएम भी अपडेट लेते रहे। अब राज्य सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना चुकी है। पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडेय ने भी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के संकेत दिए हैं। फिलहाल विभाग हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहा है। राज्य सरकार के पास अपनी बात मनवाने के लिए सिर्फ 5 दिन का वक्त है। क्योंकि शुक्रवार से नामांकन के साथ ही पंचायत चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 24 सितंबर तक नामांकन पत्रों की जांच होगी। जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक हाईकोर्ट का फैसला ही मान्य रहेगा।