केदारनाथ आपदा का सबसे बड़ा सच, वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट रिसर्च के बाद बताई बड़ी बातें
साल 2013 में केदारघाटी को एक नहीं दो आपदाओं का सामना करना पड़ा था, ये खुलासा वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में किया है....
Sep 24 2019 4:13PM, Writer:कोमल नेगी
साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा को भला कौन भूल सकता है। 16 और 17 जून को केदारघाटी में ऐसी तबाही आई, जिससे केदारघाटी आज तक उबर नहीं पाई है। यहां आज भी तबाही के निशान देखे जा सकते हैं। अब केदारनाथ आपदा को लेकर वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाली बात बताई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि केदारनाथ आपदा कोई एक घटना नहीं थी, बल्कि कम अंतराल में हुई अलग-अलग आपदाएं थीं। साल 2013 में केदारघाटी के लोगों को एक नहीं दो-दो आपदाओं का सामना करना पड़ा था। पहली आपदा 16 जून की रात आई। जब भूस्खलन की वजह से केदारनाथ के ऊपरी हिस्से में बनी झील टूट गई, इस आपदा में पूरा रामबाड़ा तबाह हो गया था। 17 जून को चौराबाड़ी ताल टूट गया, जिससे केदारनाथ ही नहीं आस-पास के इलाके में भी भारी तबाही मची। केदारनाथ आपदा की घटना 17 जून सुबह की बताई जाती है, पर वैज्ञानिकों ने आपदा से जुड़ा सबसे बड़ा राज खोल दिया है।
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: 150 मीटर गहरी खाई में समाई बोलेरो, 3 लोगों की मौत..4 लोग घायल
16 जून की रात से लेकर 17 जून की सुबह तक केदारघाटी को दो-दो आपदाओं का दंश झेलना पड़ा था। इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिकों ने इस संबंध में सेटेलाइट से अध्ययन किया था। जिसके बारे में हाल ही में हुई एक कार्यशाला में प्रजेंटेशन दिया गया। इस कार्यशाला में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज भी मौजूद थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि केदारनाथ में साल 2013 में 15 से लेकर 17 जून तक अप्रत्याशित बारिश हुई। बारिश की वजह से 16 जून की रात को वासुकी ताल की तरफ से भूस्खलन हुआ। जिसकी वजह से केदारनाथ के ऊपर एक झील बन गई थी, रात को ये झील टूट गई। इसके बाद 17 जून की सुबह चौराबाड़ी ताल टूटने से हर तरफ तबाही मच गई। इंडियन हिमालय भू विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल कहते हैं कि रामबाडा संकरी जगह पर था, इसीलिए रामबाड़ा को ज्यादा नुकसान हुआ। भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील राज्य है, ऐसे में हमें केदारनाथ आपदा से सबक लेते हुए मल्टीपल हैजार्ड से निपटने के तरीके तलाशने होंगे।