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उत्तराखंड: आयुर्वेद छात्रों का धरना खत्म, 52 दिनों की परेशानी को किसने 52 घंटों में सुलझाया..जानिए

लेकिन सवाल ये है कि इस बार क्यों आयुष छात्रों को 53 दिन तक धऱना प्रदर्शन करना पड़ा? क्यों छात्रों को सर्द रातों में खुले आसमान के नीचे सोना पड़ा?
Nov 24 2019 12:39PM, Writer:आदिशा

उत्तराखंड में आयुर्वेद छात्रों का 53 दिन तक चला आंदोलन खत्म हो गया है। त्रिवेंद्र सरकार ने हाईकोर्ट का आदेश मानते हुए प्राइवेट आयुष कॉलेजों को फीसवृद्धि वापस लेने के निर्देश दिए हैं। साथ ही भविष्य में फीस निर्धारण कमेटी गठित करने का भी ऐलान किय़ा है। इस घोषणा के बाद आयुष छात्रों का लंबा आंदोलन खत्म हो गया। सीएम के दखल के बाद आयुष सचिव की तरफ से जारी हुए आदेश से स्टूडेंट्स खुश हैं। स्टूडेंट्स को उम्मीद है कि इस बार कॉलेजों को फीस वापस करनी होगी। छात्रों के फीस वृद्धि के मुद्दे पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत हमेशा गंभीर रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने से पहले भी वे छात्र हितों के लिए आवाज उठाते रहे हैं, फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों के आंदोलन को समर्थन भी दे चुके हैं। सीएम बनने के बाद पिछले साल मेडिकल कॉलेजों की फीस वृद्धि के आदेश को भी सीएम त्रिवेंद्र के दखल से वापस लिया गया था। लेकिन सवाल ये है कि इस बार क्यों आयुष छात्रों को 53 दिन तक धऱना प्रदर्शन करना पड़ा? क्यों छात्रों को सर्द रातों में खुले आसमान के नीचे सोना पड़ा? क्या मुख्यमंत्री तक समय रहते सही बातें नहीं पहुंचाई गई? या कोई चाहता ही नहीं था कि मुख्यमंत्री इस मामले को गंभीरता से लें? आगे जानिए इस मसले को निपटाने में किसका बड़ा हाथ माना जा रहा है...

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53 दिन का मसला चुटकी में सुलझाने में सबसे बड़ा हाथ माना जा रहा है मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले उनके ओएसडी धीरेंद्र पंवार का। सीएम के विरोधियों और कुछ अफसरों ने आयुष छात्रों के आंदोलन और उनकी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तक सही तथ्य नहीं पहुंचने दिए गए। मामला बढ़ने लगा तो सीएम के ओएसडी धीरेंद्र पंवार ने मोर्चा संभाला। उन्होंने आयुष छात्रों से बातचीत की। आंदोलनकारी छात्रों को बातचीत के लिए सचिवालय अपने दफ्तर में बुलाया। उनकी मांगों को धैर्य पूर्वक सुना और विभाग के रवैये को भी जाना। धीरेंद्र पंवार ने ही ये सारी बातें स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने रखी। साथ ही युवाओं में सरकार के प्रति कैसा रुख है इसका जिक्र भी सीएम से किया। जैसे ही मुख्यमंत्री को सच्चाई का पता चला, उन्होंने फौरन आयुष मंत्री, सचिव, कुलपति और रजिस्ट्रार के साथ बैठक बुलाई और हाईकोर्ट के निर्देश के क्रम में निजी कॉलेजों को फीस वृद्धि न करने का निर्देश जारी किया। सीएम के रुख के बाद छात्रों में संतोष दिखा और फीसवृद्धि वापस लेने का आदेश जारी होते ही छात्रों ने आंदोलन खत्म कर दिया। इस तरह से सीएम के ओसडी धीरेंद्र पंवार ने इस आंदोलन को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई। यह मुद्दा त्रिवेंद्र सरकार के लिए सिरदर्द बनता जा रहा था। तमाम संगठन, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने लगे थे।


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