image: Commendable initiative of villagers to stop migration in kandara village

पहाड़ के नौजवान ने पलायन को दी मात, गांव में खोला स्कूल..3 साल में 14 से 150 छात्र हुए

कंडारा गांव में अच्छा स्कूल नहीं था, लोग बच्चों को पढ़ाने के लिए पौड़ी का रुख कर रह थे, पर अब हालात बदल गए हैं...
Nov 26 2019 5:01PM, Writer:कोमल नेगी

पहाड़ से पलायन के पीछे बेरोजगारी एक अहम वजह है, लेकिन लोग केवल नौकरी के लिए ही पहाड़ नहीं छोड़ रहे। पहाड़ में सरकारी स्कूलों के बुरे हाल और क्वालिटी एजुकेशन की चाह भी लोगों को शहर में बसने पर मजबूर कर रही है। लोग गांव छोड़कर शहर जा रहे हैं, ताकि बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ सकें। पौड़ी के कंडारा गांव में भी ऐसा ही हो रहा था। लोग बच्चों को पढ़ाने के लिए शहर जा रहे थे। गांव खाली हो रहा था। लगातार हो रहे पलायन ने गांव के एक युवक को बुरी तरह झकझोर दिया। तब युवक ने गांव में ही अच्छा स्कूल खोलने की ठानी। संसाधन जुटते गए और इस तरह तीन साल पहले कंडारा गांव में अनूप भारती मेमोरियल प्राइवेट विद्यालय की नींव रखी गई। पौड़ी के इस युवक का नाम है कुलदीप गुसांई। कुलदीप पौड़ी के कंडारा गांव में रहते हैं। उन्होंने पलायन रोकने के लिए गांव में ही स्कूल खोला है, ताकि बच्चों को पढ़ाई के लिए शहर ना जाना पड़े।

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कुलदीप कहते हैं गांव के लोग बच्चों की पढ़ाई के लिए शहर में बस गये थे। गांव वीरान होता जा रहा था। ऐसे में उन्होंने गांव में ही अच्छा स्कूल खोलने की ठानी। 3 साल पहले 2016 में उन्होंने अनूप भारती मेमोरियल प्राइवेट विद्यालय की नींव रखी। पहले साल स्कूल में सिर्फ 14 बच्चों ने ही एडमिशन लिया, पर अब हालात बेहतर हैं। गांव के स्कूल में इस वक्त 150 से ज्यादा छात्र पढ़ रहे हैं। लोग अपने बच्चों को गांव में ही पढ़ा रहे हैं। कंडारा गांव के इस स्कूल में बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास पर भी ध्यान दिया जाता है। कुलदीप कहते हैं कि गांव वाले पहले अपने बच्चों को लेकर पौड़ी चले जाते थे, ताकि बच्चे वहां पढ़ सकें। अब हालात बदल गए हैं। लोगों को अब गांव छोड़कर दूसरी जगह नहीं जाना पड़ता। अनूप भारती मेमोरियल प्राइवेट विद्यालय के 6 बच्चों का सेलेक्शन नवोदय विद्यालय के लिए हुआ है। स्कूल के जरिए बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन दी जा रही है, और युवाओं को रोजगार के मौके भी। स्कूल के जरिए गांव के 15 लोगों को रोजगार मिला है। पौड़ी के कंडारा गांव में जो कोशिश हुई है, वो सराहनीय है। पहाड़ के दूसरे गांवों में भी पलायन रोकने के प्रयास होने चाहिए।


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