image: yogesh is earning lakhs of rupees from self employment

पहाड़ के योगेश ने 183 रुपए से शुरू किया था स्वरोजगार..अब कमा रहे हैं 25 लाख रुपए

योगेश ने महज 183 रुपये से स्क्वैश बनाने का काम शुरू किया था, आज उनकी आमदनी लाखों में है...
Jan 4 2020 11:18AM, Writer:komal

पहाड़ में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं, बस जरूरत है तो इन संभावनाओं को सफलता में बदलने वालों की। राज्य समीक्षा के जरिए हम ऐसे कर्मठ लोगों को मंच देने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्होंने स्वरोजगार से सफलता का सफर तय किया। साथ ही अपनी सफलता में गांव के बेरोजगारों को भी भागीदार बनाया। इस कड़ी में हम योगेश बंधानी की कहानी लेकर आये हैं। जिन्होंने महज 183 रुपये से स्क्वैश बनाने का काम शुरू किया। आज योगेश की आमदनी लाखों में है। वो हर साल 25 लाख रुपये तक कमा लेते हैं। उत्तरकाशी के नौगांव में एक जगह है कोटियालगांव। योगेश बंधानी इसी गांव के रहने वाले हैं। साल 2006 से 2013 तक वो एक एनजीओ में काम करते थे, पर मन में कुछ और करने की इच्छा थी। साल 2013 में उन्होंने हिम्मत जुटाई और नौकरी छोड़ दी। अपना काम स्थापित करना आसान नहीं होता। योगेश को भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा, पर उन्होंने हार नहीं मानी।

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साल 2013 में उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण यूनिट पर काम करना शुरू किया। शुरुआत दस लीटर लेमन स्क्वैश से की। जिसे उन्होंने अपने किचन गार्डन के नींबू से तैयार किया था। इससे स्क्वैश बनाने में सिर्फ 183 रुपये खर्च हुए, यही स्क्वैश बाजार में पांच सौ रुपये में बिका। छोटी सफलता ने उन्हें कुछ बड़ा करने के लिए प्रोत्साहित किया। साल 2014 में उन्होंने अपने दोस्त से एक लाख रुपये का लोन लिया। इससे किराये की दुकान ली और किराये के बर्तनों में स्क्वैश तैयार करने लगे। परिवार ने भी मदद की। साल 2015 में उन्होंने बैंक से 4 लाख का लोन लिया। अगले साल 2016 में उनकी शादी देहरादून की रहने वाली ऋचा से हुई। पति-पत्नी साथ मिलकर काम करने लगे। कोटियालगांव में ही दो हजार वर्ग फीट में युवा हिमालय एग्रो फूड प्रोडक्ट्स नाम से अपने उद्योग की स्थापना की। गांव की 20 महिलाओं को रोजगार दिया। आज योगेश की फैक्ट्री में स्क्वैश, चटनी, जैम, अचार, जूस और दूसरे कई प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं। इसके लिए वो स्थानीय लोगों से कच्चा माल खरीदते हैं। आज योगेश की सालाना आमदनी लाखों में है। वो गांव में रोजगार के अवसर पैदा कर पलायन रोकने की कोशिश में जुटे हैं। उनका लक्ष्य साल 2022 तक पांच सौ लोगों को रोजगार देना है, ताकि लोगों को काम की तलाश में गांव ना छोड़ना पड़े।


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