कोटद्वार का रेलवे स्टेशन देश के सबसे स्वच्छ और सुंदर स्टेशनों की लिस्ट में शामिल हो गया है। रेलवे मिनिस्ट्री ने खुद इस रेलवे स्टेशन की तारीफ की। यहां बनी पेंटिंग्स को सराहा...देखिए इस रेलवे स्टेशन की खूबसूरत तस्वीरें
Jan 25 2020 5:34PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर बसा कोटद्वार...इसे गढ़वाल का द्वार कहा जाता है। ये जगह कण्व ऋषि की तपस्थली रही। देश का नाम जिस राजा भरत के नाम पर भारत पड़ा, उनका जन्म यहीं हुआ था। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध इस शहर में दाखिल होते ही आपको उत्तराखंड की संस्कृति के दर्शन होने लगते हैं। यहां के रेलवे स्टेशन की दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग्स बनी दिखती हैं, जिनमें पहाड़ की समृद्ध संस्कृति नजर आती है। कोटद्वार के रेलवे स्टेशन का अपना ऐतिहासिक महत्व है। कोटद्वार रेलवे स्टेशन में बनी पेंटिग्स ने स्टेशन को नया रूप दिया है, साथ ही ये देश के सबसे स्वच्छ और सुंदर स्टेशनों की लिस्ट में भी शामिल हो गया है। रेलवे मिनिस्ट्री ने खुद इस रेलवे स्टेशन की तारीफ की। यहां बनी पेंटिंग्स को सराहा। दो महीने पहले तक कोटद्वार रेलवे स्टेशन देश के दूसरे आम रेलवे स्टेशनों की तरह था, पर आज ये भारतीय रेल की ऑफिशियल वेबसाइट और रेल मंत्रालय के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर छाया हुआ है। रेलवे स्टेशन को जिन पेंटिंग्स के लिए वाहवाही मिल रही है, उसका क्रेडिट रेलवे को नहीं बल्कि युवाओं की संस्था वॉल ऑफ काइंडनेस को जाता है। संस्था से जुड़े युवा सामाजिक कार्यों में विशेष योगदान दे रहे हैं। आगे देखिए तस्वीरें
इस तरह से सज गया स्टेशन
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चलिए लगे हाथ आपको कोटद्वार रेलवे स्टेशन के इतिहास के बारे में भी बता देते हैं। रेलवे स्टेशन की स्थापना साल 1889-90 में अंग्रेजों ने की। साल 2002-03 में इसे मॉडल स्टेशन घोषित किया गया।
सबसे सुंदर रेलवे स्टेशन
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साल 2010 में आदर्श स्टेशन बनाने की कवायद चली, पर स्टेशन के दिन नहीं बहुरे। जो काम सालों में नहीं हुआ, उसे वॉल ऑफ काइंडनेस संस्थान ने दो महीने में कर दिखाया। क्षेत्र के 3 युवाओं ने साल 2016 में संस्था का गठन किया था, आज संस्था से 30 युवा जुड़े हैं।
स्वच्छता का सबसे खास ख्याल
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इन युवाओं के प्रयासों से कोटद्वार में जगह-जगह उत्तराखंडी संस्कृति के दर्शन हो रहे हैं। रेलवे स्टेशन की जिन दीवारों पर पहले पान की पीक नजर आती थी, वहां अब कण्वाश्रम का इतिहास दिख रहा है, चारधाम दिख रहे हैं।
ऐसे मिला नया रूप
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पहाड़ के इन युवाओं ने शहर को नया रंग-रूप देकर संस्कृति के संरक्षण का काम किया है, साथ ही नाकारा सरकारी सिस्टम को आईना भी दिखाया है, पहाड़ के होनहार युवाओं की इस टीम को राज्य समीक्षा का सलाम, ऐसे प्रयासों की सराहना होनी चाहिए, इन्हें बढ़ावा मिलना चाहिए...