वाह...लॉकडाउन के बाद तरोताज़ा हो गई ऋषिकेश की हवा, शुद्धता में गजब का बदलाव
लॉकडाउन के चलते ऋषिकेश की हवा में शुद्धता दर्ज की गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बात की पुष्टि की है। पर्यावरण के लिहाज से यह एक शुभ समाचार है। पढ़िए पूरी खबर
Apr 11 2020 2:42PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
लॉक डाउन के चलते कुछ अच्छा भले ही ना हुआ हो मगर वातावरण में शुद्धता जरूर आई है। सड़कों पर वाहनों की आवाजाही कम हो गई है, जिससे प्रदूषण में काफी कमी आई है और हवा की शुद्धता में बढ़ोतरी हुई है। उत्तराखंड में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। लगता है जैसे मानव घर में कैद हो गए हैं और प्रकृति सड़कों पर खुलेआम घूम रही हो। ऋषिकेश से भी ऐसी ही खबर सामने आ रही है। लॉकडाउन के चलते तीर्थनगरी ऋषिकेश की हवा पूर्ण तरीके से शुद्ध हो गई है और वायु प्रदूषण का स्तर भी सामान्य से काफी नीचे पहुंच गया है। आपको बता दें कि ऋषिकेश में वायु प्रदूषण मानवीय गतिविधियों द्वारा ही बढ़ाया जा रहा है। चाहे वह कंक्रीट के जंगलों को खड़ा करना हो या सड़कों पर वाहनों की बढ़ती हुई संख्या हो। तमाम कारणों की वजह से ऋषिकेश की हवा को पूरी तरीके से अशुद्ध हो रही थी। आगे जानिए कितनी शुद्ध हो गई ऋषिकेश की हवा
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मगर चूंकि लॉकडाउन की वजह से सरकार ने लोगों के बाहर निकलने में पाबंदी लगा रखी है शायद इसी वजह से पूरे ऋषिकेश में पिछले 16 दिनों से कोई भी वाहन नहीं चला है।ऋषिकेश वायु प्रदूषण से मुक्त हुआ है। उत्तराखंड प्रदूषण बोर्ड के मानकों के अनुसार हवा की शुद्धता के लिए हवा में पीएम-10 पर्टिकुलर मैटर( धूल के कण) 100 माइक्रोन ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए। आम दिनों में यह आंकड़ा 150 से 200 तक पहुंचता था जो अब घटकर 53.25 पहुंच गया है। है न अच्छी खबर? यह तीर्थनगरी ऋषिकेश के निवासियों के लिए एक सुखद खबर है। यह तो हम सब मानते ही हैं कि लॉकडाउन के बाद प्रकृति खिल उठी है। सड़कों पर बेखौफ घूमते इंसानों की जगह अब प्रकृति के रंगों ने ले ली है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देहरादून के क्षेत्रीय अधिकारी अमित पोखरियाल ने बताया कि थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर राज्य के मुख्य शहरों में वायु प्रदूषण की जांच की जाती है।
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जब लॉकडाउन के बाद ऋषिकेश के प्रदूषण की जांच की तो मंगलवार को यह पता लगा कि ऋषिकेश का वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य से भी नीचे पहुंच चुका है। इसका मतलब है कि ऋषिकेश की वायु बेहद शुद्ध हो गई है जो कि सुकून देने वाली खबर है। निर्मल हॉस्पिटल के फिजिशियन डॉक्टर अमित अग्रवाल बताते हैं कि जो धुआं वाहनों और कारखानों से निकलता है वह कार्बन डाइऑक्साइड वाला धुआं होता है जो कि सांस की बीमारी पैदा करता है और एलर्जी ,अस्थमा, सांस लेने में दिक्कत को बढ़ावा देता है। अगर इस समय वायु प्रदूषण कम है तो अस्थमा के रोगियों को घर में बहुत आराम मिल रहा होगा। शुद्ध हवा सबके लिए बहुत जरूरी है।