देवभूमि का सच्चा देवदूत...यहां गरीबों के लिए कोई चुपचाप राशन रखकर चला जाता है
सेल्फी और सोशल मीडिया के दौर में अब भी कुछ लोग हैं, जिन्हें पब्लिसिटी से ज्यादा लोगों की परवाह है। ये लोग दूसरों की सेवा कर रहे हैं, लेकिन इन्हें अपने नाम के प्रचार का कोई लोभ नहीं। ऐसी ही भावुक कर देने वाली एक तस्वीर उत्तरकाशी से आई है...
Apr 24 2020 7:07PM, Writer:कोमल नेगी
सेवा और दान की हर धर्म में बड़ी महिमा है। कहते है जब एक हाथ से दान दिया जाए तो दूसरे हाथ तक को पता नहीं चलना चाहिए। पर अब ऐसा होता नहीं। सेल्फी का जमाना जो है। खैर हमारा मानना है कि चाहे जैसे भी हो सेवा रुकनी नहीं चाहिए, जरूरतमंदों को मदद मिलती रहनी चाहिए। लेकिन सेल्फी और सोशल मीडिया के इस दौर में अब भी कुछ लोग हैं, जिन्हें पब्लिसिटी से ज्यादा लोगों की परवाह है। ये लोग दूसरों की सेवा कर रहे हैं, लेकिन इन्हें अपने नाम के प्रचार का कोई लोभ नहीं। ऊपर जो तस्वीर आप देख रहे हैं, वो इसी सेवाभाव को बयां करती है। तस्वीर उत्तरकाशी जिले की है। यहां कोई अनजान व्यक्ति बिना अपनी पहचान बनाए जरूरतमंदों की बड़ी मदद कर रहा है। ये कोई समूह भी हो सकता है। आगे भी पढ़िए इस बारे में खास बातें
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जिले में सुबह जब लोग घरों से बाहर निकल कर बाजार में सामान खरीदने पहुंचते है तो उन्हें विश्वनाथ चौक के आसपास रेलिंग पर चारों तरफ खाने-पीने के सामान के पैकेट बंधे मिलते हैं। इन पैकेट्स में जूस, नमकीन, ड्राय फ्रूट्स और राशन के साथ-साथ खाने का दूसरा सामान भी होता है। किसी को नहीं पता कि खाने के ये पैकेट देर रात या तड़के कौन मुख्य चौराहों पर छोड़कर जाता है। गरीब-बेसहारा लोग चुपचाप खाने के पैकेट अपने साथ ले जाते हैं और ऐसा करने वाले को दुआएं दे जाते हैं। यूं तो कोरोना संकट के इस दौर में तमाम लोग और संगठन मदद का हाथ बढ़ाकर इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं, लेकिन उत्तरकाशी से आई ये तस्वीर सेवाभाव की सच्ची पहचान बताती है। इस अनाम दानवीर को राज्य समीक्षा टीम सैल्यूट करती है। आपको बता दें कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी दान देने वालों से अपील कर चुके हैं कि राहत सामग्री देते वक्त फोटो खिंचवाने से बचें, क्योंकि इससे सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन होता है।