धन्य है पहाड़ का ये युवा किसान... 5000 उधार लेकर शुरू की खेती, अब शानदार कमाई
महज 5000 रुपए उधार लेकर शुरू किया था पहाड़ी फलों का व्यवसाय, आज एक कंपनी के रूप में उसको स्थापित किया है उत्तराखंड के लोकेश वर्मा ने। उनके हौसले बुलंद थे और उनके मन में कुछ प्राप्त करने की इच्छा और शुरू हुई "लोकेश एग्रो" कंपनी।
Jun 6 2020 6:00PM, Writer:अनुष्का
एक आम 28 वर्षीय युवक के बारे में अगर आप सोचेंगे तो आप एक ऐसे युवक की।कल्पना करेंगे जो गांव से दूर किसी शहर में कम्प्यूटर के सामने बैठ कर कॉरपोरेट जॉब कर रहा है और जीवन व्यापन कर रहा है। मगर हम आपसे ये कहें कि उत्तराखंड के भीमताल में एक 28 वर्ष का किसान है जो गांव में खेती कर रहा है, पसीना बहा रहा है और जिसने आज खेती के बलबूते पर एक बड़ी कंपनी खोल ली है, तो क्या आप यकीन करेंगे? अगर नहीं, तो यक़ीन कर लीजिए क्योंकी राज्य समीक्षा आपके समक्ष एक ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी लेकर आया है। इस खबर को पढ़ने के बाद बहुत लोगों की गलतफहमियां खत्म होंगी। लोग यह वहम पाल कर बैठे हैं कि खेती में इनकम जनरेट नहीं होती है। यह पूर्णतः गलत है। आप सही स्ट्रैटिजी और बुलंद हौसलों के साथ किसानी करेंगे तो आपको गजब का फायदा होगा। आज हम बात कर रहे हैं 28 वर्षीय लोकेश वर्मा की जो भीमताल के चांफी गांव में रहते हैं। मात्र 5000 उधार लेकर से अपने खेती के व्यवसाय की शुरुआत करने वाले लोकेश वर्मा आज देश के कई हिस्सों में अपने उगाए उत्पादों की सप्लाई कर रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने लोकेश एग्रो नामक खुद की कंपनी भी बनाई है। उनकी कंपनी में फिलहाल 10 लोगों का स्टाफ है जो मिलकर 71 उत्पादों की मार्केटिंग करती है। आइये आपको बताते हैं कि कैसे लोकेश वर्मा ने यह कंपनी खोली और उनको क्या-क्या मुसीबतों का सामना करना पड़ा।
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड का ये गांव बन रहा है विदेशी सैलानियों की पहली पसंद, इसे नाम दिया Corn Village
लोकेश वर्मा बताते हैं कि पहले वह जैविक फलों का स्थानीय व्यापार ही करते थे। इसी बीच दिल्ली में रहने वाले एक परिचित ने उनको 1 क्विंटल आड़ू का ऑर्डर दिया। बस उन्होंने 30 से 50 किलो आड़ू को पैकिंग और ट्रांसपोर्ट का जोड़कर 100 रुपए एक किलो में डिलीवर करने की बात की और उनको ऑर्डर मिल गया। उन्होंने हल्द्वानी से आड़ू ट्रेन से दिल्ली भेजा। इस खर्चे के लिए उन्होंने एक मित्र से 5000 रुपए उधार में लिए। इस ऑर्डर के बाद किस्मत का ताला खुल गया। लोकेश को दोबारा एक बड़ा ऑर्डर मिला और फिर ऑर्डर का सिलसिला जारी हो गया। लोकेश ने उत्पादन में बढ़ोतरी की और स्टाफ हायर करते गए। उन्होंने सोशल मीडिया पर ग्रुप्स के जरिए अपने हर्बल और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की जानकारी दी।
बस सोशल मीडिया से उनके कारोबार को गति मिली और फिर क्या था, चल पड़ा उनका कारोबार। लगातार ऑर्डर मिलते रहे और देखते ही देखते खड़ी हो गई लोकेश एग्रो नामक कंपनी। आज लोकेश वर्मा को देशभर से बड़े ऑर्डर्स मिलते हैं। उनकी कंपनी जैविक उत्पादों की उच्च गुणवत्ता का खास खयाल रखती है। वे पहाड़ी फलों जैसे काफल, हिसालू, घिंघोरा आदि की भी देशभर में डिलीवरी करते है। इसी के साथ वह हर्बल और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स भी बनाते हैं। लोकेश वर्मा का कहना है कि पहाड़ों के हर्बल और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को बेहतर मार्केट मिले तो पलायन की समस्या रुक जाएगी। युवाओं को गांव में ही रोजगार प्राप्त हो जाएगा। आज लोकेश एग्रो कंपनी 10 युवा एम्प्लॉयज़ के साथ कुल 71 उत्पादों की डिलीवरी करती है। 5000 का कर्ज लेने से एक बड़ी कंपनी शुरू करने तक का सफर कठिन तो था मगर रोमांचक भी था। लोकेश वर्मा ने अपनी सफलता के साथ सभी युवाओं को यह सन्देश दिया है कि अगर हौसले बुलंद हों, मन में इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है।