उत्तराखंड: यहां 30 जून तक लॉक रहेंगे धार्मिक स्थल, धर्मगुरुओं ने लिया बड़ा फैसला
हल्द्वानी में अनलॉक शुरू होने के बाद भी सभी धार्मिक स्थल 30 जून तक पूरी तरह लॉक रहेंगे। यहां ना तो मंदिर खुलेंगे, ना ही मस्जिद। गुरुद्वारे और गिरिजाघर भी पहले की तरह बंद रहेंगे।
Jun 10 2020 6:46PM, Writer:कोमल नेगी
इस वक्त हम कोरोना संकट के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। लॉकडाउन के बाद देश को अनलॉक करने की कवायद शुरू हो गई है। इसी के साथ कोरोना संक्रमण के मामले भी तेजी से बढ़ने लगे हैं। संकट की इस घड़ी में नैनीताल के जिले के धर्मगुरुओं ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसे प्रदेश के दूसरे जिलों के लिए नजीर के रूप में देखा जा रहा है। हल्द्वानी में अनलॉक शुरू होने के बाद भी सभी धार्मिक स्थल 30 जून तक पूरी तरह लॉक रहेंगे। यहां ना तो मंदिर खुलेंगे, ना ही मस्जिद। गुरुद्वारे और गिरिजाघर भी पहले की तरह बंद रहेंगे। पुलिस और प्रशासन की बैठक में धर्मगुरुओं ने सभी धार्मिक स्थलों को बंद रखने पर सहमति जताई। ऐसा इसलिए किया गया ताकि शहर को कोरोना संक्रमण के खतरे से बचाया जा सके। धर्मगुरुओं ने 30 जून तक सभी धार्मिक स्थलों को स्वेच्छा से बंद रखने की बात कही है। पुलिस और प्रशासन ने भी धर्मगुरुओं के इस फैसले की सराहना की।
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आपको बता दें कि 8 जून से शहर के सभी धार्मिक स्थलों को खोला जाना था। नैनीताल जिला क्योंकि सोमवार तक रेड जोन में था, इसलिए धार्मिक स्थलों को खोलने के फैसले को लेकर यहां असमंजस की स्थिति बनी रही। मंगलवार को जिले को रेड जोन से बाहर कर दिया गया। जिसके बाद प्रशासन और पुलिस ने शहर के सभी धर्मगुरुओं को बातचीत के लिए बुलाया। बैठक में धार्मिक समितियों के पदाधिकारी और शहर के कई संगठनों के लोग भी आए। बैठक में इस बात पर चर्चा होनी थी कि हल्द्वानी में धार्मिक स्थल में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए क्या-क्या इंतजाम होने चाहिए। क्या-क्या सावधानियां बरती जाएं, जिससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। काफी देर तक चली बैठक के बाद सभी धर्मगुरुओं ने फैसला लिया कि 30 जून तक धार्मिक स्थलों को ना खोला जाए। 30 जून तक सभी मजहबों को मानने वाले लोग पहले की तरह घरों में ही पूजा करें। धर्मगुरुओं ने कहा कि धार्मिक स्थल खुलने पर भीड़ बढ़ सकती है। ऐसे में हमारी पहली प्राथमिकता हल्द्वानी को संक्रमण से बचाना है। लिहाजा शहर में धार्मिक स्थलों को 30 जून के बाद ही खोला जाए। कोरोना संकट के बीच हल्द्वानी के धर्मगुरुओं का ये फैसला नजीर के रूप में देखा जा रहा है।