उत्तराखंड में चीन सीमा पर पहला न्यू जनरेशन ब्रिज बनकर तैयार, जानिए खूबियां
असी गंगा नदी पर बने इस पुल से सेना की राह आसान हो गई है। स्थानीय लोगों को भी इससे फायदा होगा। आगे जानिए इस पुल को न्यू जनरेशन ब्रिज क्यों कहा जा रहा है...
Jun 26 2020 3:11PM, Writer:कोमल नेगी
बीआरओ ने भारतीय सेना की राह आसान कर दी है। उत्तरकाशी में भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाला देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज बनकर तैयार है। उत्तरकाशी से पांच किलोमीटर दूर गंगोत्री हाईवे पर बने इस बेली ब्रिज को गंगोरी के पास बनाया गया है। सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ द्वारा तैयार इस ब्रिज की भार क्षमता 70 टन है। असी गंगा नदी पर बने इस पुल से सेना की राह आसान हो गई है। स्थानीय लोगों को भी इससे फायदा होगा। बेली ब्रिज की खूबियां क्या हैं, और इसे न्यू जनरेशन ब्रिज क्यों कहा जा रहा है, ये भी बताते हैं। आमतौर पर बेली ब्रिज की भार क्षमता 20 से 25 टन और चौड़ाई 3.75 मीटर होती है, लेकिन उत्तरकाशी में बने ब्रिज की भार क्षमता आम बेली ब्रिज से 3 गुना ज्यादा यानी 70 टन है। इसकी चौड़ाई 4.25 मीटर है। आगे पढ़िए
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इस पुल का डिजाइन बनाने वाली कंपनी जीआरएसई है, जिसने इसे न्यू जनरेशन ब्रिज नाम दिया है। सामान्य तौर पर बेली ब्रिज बनाने में सिर्फ लोहे का इस्तेमाल होता है, लेकिन गंगोरी में बना पुल स्टील और लोहे से बना है, इसलिए ये दूसरे पुलों से अलग है। आपको बता दें कि गंगोरी में पुराना बेली ब्रिज टूट गया था। जिसके बाद बीआरओ ने इसी साल जनवरी में नए पुल का निर्माण कार्य शुरू किया था, अप्रैल तक ब्रिज बनकर तैयार भी हो गया। 190 फीट लंबे इस पुल को पुराने ब्रिज की जगह पर बनाया गया है। अब सड़क निर्माण के लिए मशीनें और सेना के वाहन इस पुल से आसानी से आ-जा सकेंगे। डीएम डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते अभी पुल का विधिवत उद्घाटन नहीं हो सका है, लेकिन इस पर आवाजाही शुरू कर दी गई है।