इंस्पायर अवॉर्ड नॉमिनेशन: उत्तराखंड का देशभर में 5वां स्थान, टॉप-50 में पहाड़ के कई जिले
इंस्पायर अवॉर्ड प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्र-छात्राओं में वैज्ञानिक समझ को बढ़ावा देना और उन्हें नेशनल लेवल पर पहचान दिलाना है।
Sep 22 2020 12:28PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड शिक्षा के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। नई कामयाबी हासिल कर रहा है। इसी कड़ी में उत्तराखंड के हिस्से एक बड़ी उपलब्धि आई है। इंस्पायर अवॉर्ड नामांकन में देशभर के टॉप-10 राज्यों की लिस्ट में अपना उत्तराखंड पांचवें स्थान पर है। उत्तराखंड के हजारों स्कूली छात्रों ने इस प्रतियोगिता में अपनी रुचि दिखाई और इसके लिए नॉमिनेशन कराया। प्रदेशभर से जिस बड़ी संख्या में नॉमिनेशन हुए, उसने उत्तराखंड को नॉमिनेशन में पांचवे स्थान पर ला दिया। इस लिस्ट में चंडीगढ़ पहले स्थान पर रहा, जबकि बिहार राज्य को दूसरी पोजिशन मिली। इसके अलावा उत्तराखंड के कई जिलों ने देश के टॉप-50 जिलों में जगह बनाई है। इन जिलों में टिहरी गढ़वाल और चमोली जिला भी शामिल है। देशभर के टॉप-50 जिलों में टिहरी गढ़वाल आठवें और चमोली 16 वें नंबर पर है। चलिए अब आपको इंस्पायर अवॉर्ड प्रतियोगिता के बारे में बताते हैं। केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से आयोजित होने वाली इस प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्र-छात्राओं में वैज्ञानिक समझ को बढ़ावा देना और उन्हें नेशनल लेवल पर पहचान दिलाना है। आगे पढ़िए
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अपर निदेशक गढ़वाल महावीर सिंह बिष्ट ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय नई दिल्ली की ओर से हर साल इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। जिसमें देशभर के स्कूल और छात्र नॉमिनेशन कराते हैं। इस साल 16 सितंबर तक हुए नामांकन में उत्तराखंड देश के शीर्ष 10 राज्यों में से पांचवें स्थान पर है। उत्तराखंड के कई जिले देश के शीर्ष 50 जिलों में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे। किस जिले से कितने छात्रों ने नॉमिनेशन कराया, ये भी बताते हैं। रुद्रप्रयाग के तीन विकासखंडों के 259 स्कूलों के 1296 बच्चों ने प्रतियोगिता के लिए नॉमिनेशन कराया। जबकि टिहरी गढ़वाल के आठ विकासखंडों के 681 स्कूलों के 2808 छात्रों, देहरादून के 6 विकासखंडों के 286 स्कूलों के 1386 छात्रों और नैनीताल के आठ विकासखंडों के 235 स्कूलों के 1170 बच्चों ने इस प्रतियोगिता के लिए नाम दर्ज कराया है। इस प्रतियोगिता के तहत जिला स्तर पर मॉडल प्रदर्शनी लगाई जाती है, ताकि बाल वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन मिले। जो मॉडल सेलेक्ट होते हैं। उन्हें राज्य स्तर और फिर राष्ट्रीय स्तर पर भेजा जाता है। प्रतियोगिता के तहत अब तक कई छात्रों को विदेश जाने का मौका भी मिला है।