उत्तराखंड: पिता ने 3 बच्चों के साथ दो बैलों को दिया जहर..आखिर में खुद भी खाया
नैनीताल के रामनगर में आर्थिक तंगी के चलते एक 40 वर्षीय व्यक्ति ने अपने तीन मासूम बच्चों समेत खुद जहर गटक लिया और अपने दो बैलों को भी जहर खिला दिया।
Oct 9 2020 6:55PM, Writer:Komal Negi
कोरोना के दस्तक देने के बाद से ही लॉकडाउन लगने के साथ कई लोग अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठे हैं। पहाड़ों के भी कई लोग उत्तराखंड में वापस तो आ रहे हैं, मगर बेरोजगार होकर। बेरोजगारी के साथ ही इंसान की जिंदगी में मानसिक तनाव एवं डिप्रेशन जैसी कई बीमारियां साथ में आती हैं जो कि बेहद घातक साबित हो सकती हैं। बेरोजगारी के चलते लोग आत्महत्या जैसा खतरनाक कदम भी उठा रहे हैं और अपना जीवन खत्म कर रहे हैं। नैनीताल जिले के रामनगर में भी ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जहां पर एक पिता ने बेरोजगारी के चलते अपने तीन मासूम बच्चों समेत खुद जहर गटक लिया और अपने दो बैलों को भी उसने विषाक्त पदार्थ दे दिया। सोचिए, जो पिता अपने बच्चों के भविष्य के लिए मेहनत करता है, उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए कामना करता है, वह जिंदगी से हार कर अपने ही हाथों से स्वयं अपने बच्चों को मौत के मुंह में ढकेल दे, इससे ज्यादा खतरनाक बात आखिर क्या हो सकती है?
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हादसे का पता लगते ही आनन-फानन में सभी घायलों को संयुक्त चिकित्सालय रामनगर में प्राथमिक उपचार के बाद हल्द्वानी बेस अस्पताल रेफर किया गया है। व्यक्ति के दोनों बैलों ने दम तोड़ दिया है, जबकि उसके और उसके बच्चों की तबीयत अभी भी नाजुक बताई जा रही है। चलिए अब आपको पूरी घटना से अवगत कराते हैं। नैनीताल जिले के रामनगर स्थित सरायखेत निवासी 40 वर्षीय महिपाल सिंह ने बीती रात को मानसिक तनाव और डिप्रेशन के चलते अपने साथ अपने बच्चों की जिंदगी खत्म करने की कोशिश की। महिपाल सिंह ने अपनी 9 वर्षीय बेटी हिमांशी, 12 वर्षीय बेटा यशपाल और 13 वर्षीय बेटे धनपाल को जहरीला पदार्थ खिलाने के बाद खुद भी जहर गटक लिया। यही नहीं उसने अपने दोनों बैलों को भी विषैला पदार्थ खिला दिया। बताया जा रहा है कि विषैला पदार्थ खाने के बाद उसके दोनों बैलों की मृत्यु हो गई है।
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जब परिजनों एवं ग्रामीणों को सुबह घटना का पता लगा तो गांव में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में चारों को रामनगर के संयुक्त चिकित्सालय उपचार के लिए ले जाया गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद हल्द्वानी रेफर कर दिया गया है। महिपाल की हालत गंभीर बताई जा रहे हैं वहीं उसके तीनों बच्चों की हालत भी नाजुक है। चारों अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हैं। ग्रामीणों ने बताया कि वह काफी समय से परेशान था और उसको आर्थिक रूप से भी कोई सहारा नहीं मिल रहा था। वह लॉकडाउन से पहले दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था और मार्च में अपने परिवार समेत घर आ गया था। तब से ही वह बेरोजगार था और खेती-बाड़ी करके किसी तरह अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रहा था। खेती से भी पेट भरने लायक पैसे नहीं हो पा रहे थे जिसके बाद वह मानसिक रूप से परेशान हो गया और डिप्रेशन में चला गया। उसने आर्थिक रूप से परेशान होकर डिप्रेशन में अपने तीनों बच्चों समेत दोनों बैलों और खुद की जान लेने का कठोर निर्णय लिया। बताया जा रहा है कि उसकी पत्नी भी उसके साथ नहीं रहती है। वह अपने गांव में अपने तीन बच्चों के साथ अकेला रहता है।