उत्तराखंड में बर्फबारी के बीच यादगार शादी..डेढ़ फीट बर्फ में पैदल चलकर दुल्हन लेने पहुंचा दूल्हा
कड़ाके की ठंड और आसमान से रूई की तरह बरस रही बर्फ से शरीर सुन्न हो रहा था, लेकिन दूल्हा और बाराती मौसम की परवाह किए बगैर चलते रहे।
Nov 27 2020 1:36PM, Writer:Komal Negi
बर्फ से ढके रास्ते और उस पर झूमते-गाते चलते बाराती। ये तस्वीरें उत्तराखंड के उत्तरकाशी की हैं। जहां भारी बर्फबारी के बीच दूल्हा अपनी दुल्हनिया का हाथ थामने पैदल ही निकल पड़ा। सात फेरों से पहले मौसम ने भी दूल्हे और दुल्हन के परिवार वालों की खूब परीक्षा ली। कड़ाके की ठंड और आसमान से रूई की तरह बरस रही बर्फ से शरीर सुन्न हो रहा था, लेकिन दूल्हा और बाराती मौसम की परवाह किए बगैर चलते रहे। बर्फ से ढके रास्ते से गुजर रही बारात को देख आस-पास के लोग हैरान थे। दूल्हे और बारातियों की हिम्मत की तारीफ भी कर रहे थे। करीब डेढ़ फीट तक बर्फ के बीच चलते हुए ढोल-नगाड़ों के साथ जब बाराती नाचते-गाते दुल्हन के घर पहुंचे तो नजारा देखने लायक था। दुल्हन के परिवार वालों ने भी बर्फबारी के बीच पारंपरिक तौर से बारात का स्वागत किया। उन्हें आदर सत्कार दिया। उत्तरकाशी जिले के उपला टकनौर में एक गांव है सुक्की। यहां जयदेव राणा का परिवार रहता है।
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गुरुवार को जयदेव की बारात मानपुर गांव जानी थी। तभी बुधवार दिन तक मौसम ने करवट बदल ली। रात होते-होते बर्फबारी शुरू हो गई। रास्ता बंद हो गया। दूल्हे के परिजन और बाराती चिंतित हो गए, पर बारात तो जानी ही थी। ऐसे वक्त में बीआरओ के जवान हमेशा की तरह देवदूत बनकर मौके पर पहुंचे और मशीनों की मदद से बर्फ साफ कर दोपहर 12 बजे सुक्की टॉप तक यातायात बहाल किया। तब कहीं जाकर बारात रवाना हो सकी। बर्फबारी की वजह से बारात को दुल्हन के घर पहुंचने में देरी जरूर हुई, लेकिन इसी बहाने बारातियों को मौज-मस्ती करने का मौका मिल गया। बारातियों के साथ-साथ घरातियों ने भी बर्फबारी का खूब लुत्फ उठाया। पारंपरिक लोकगीतों और ढोल-दमाऊं की थाप पर थिरकते बारातियों का उत्साह देखते ही बन रहा था। बात करें उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों की तो यहां अब भी मौसम खराब बना हुआ है। उत्तरकाशी जिले में समुद्र सतह से दो हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फ की चादर बिछ गई है। लगातार हुई बर्फबारी के बाद चारधाम बर्फ से पूरी तरह पैक हो गए हैं।