उत्तराखंड में सांप और अजगर के लिए बना पहला ‘फ्लाईओवर’..जानिए इसकी बेमिसाल खूबियां
आमतौर पर ब्रिज इंसानों की आवाजाही के लिए होते हैं, लेकिन ये ब्रिज अनोखा इसलिए है, क्योंकि इसे इंसानों नहीं बल्कि जमीन पर रेंग कर चलने वाले सरीसृप प्रजाति के जीवों के लिए बनाया गया है।
Nov 27 2020 2:12PM, Writer:Komal Negi
जैव-विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड कई तरह के दुर्लभ जीवों का घर है। यहां इन जीवों को सहेजने के लिए हर जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में नैनीताल में एक अनोखा इको ब्रिज तैयार किया गया है। आमतौर पर ब्रिज इंसानों की आवाजाही के लिए होते हैं, लेकिन ये ब्रिज अनोखा इसलिए है, क्योंकि इसे इंसानों नहीं बल्कि जमीन पर रेंग कर चलने वाले सरीसृप प्रजाति के जीवों के लिए बनाया गया है। यानी इस ब्रिज पर इंसान नहीं बल्कि सांप और अजगर चलेंगे। इको ब्रिज उत्तराखंड वन विभाग ने बनाया है। इसे बनाने की जरूरत क्यों पड़ी, ये भी बताते हैं। दरअसल हाईवे क्रॉस करने के दौरान कई सरीसृप वाहनों से कुचल कर अपनी जान गंवा बैठते हैं। ऐसे में सांपों-अजगरों की जान बचाने के लिए रामनगर वन प्रभाग ने अनोखा प्रयास किया है। यहां इको ब्रिज बनाया गया है। बांस, घास और रस्सी से बने इस ब्रिज को बनाने में 2 लाख रुपये खर्च हुए। हल्द्वानी और तराई की ज्यादातर सड़कें जंगलों के बीच से होकर गुजरती हैं। ये पूरा इलाका वनक्षेत्र से ढका है। यही वजह है कि इन सड़कों पर चलते हुए अक्सर गुलदार, हाथी, बाघ और हिरण जैसे जीव नजर आते हैं। आगे पढ़िए
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इन सड़कों से इंसानों के साथ-साथ वन्यजीव भी गुजरते हैं। जंगल में मौजूद बड़े वन्यजीव दूर से ही नजर आ जाते हैं। इन्हें देख डर की वजह से वाहन चालक भी अपने वाहन पहले ही रोक लेते हैं, लेकिन सांप-अजगर और मॉनीटर लेजर्ड जैसे सरीसृपों के लिए ये सड़कें काल साबित हो रही हैं। सिर्फ सरीसृप ही नहीं बंदर और गिलहरी भी अक्सर हादसों का शिकार होकर सड़कों पर दम तोड़ देते हैं। ऐसी घटनाओं को देखते हुए डीएफओ रामनगर चंद्रशेखर जोशी ने कालाढूंगी रेंज में इको ब्रिज बनाने की कवायद शुरू की। कालाढूंगी से नैनीताल हाईवे पर छोटी हल्द्वानी से दो किलोमीटर आगे एक तीखा मोड़ है। यहां ढलान की वजह से गाड़ियां तेजी से नीचे उतरती हैं, जिससे हादसे ज्यादा होते हैं। इसी मोड़ के पास 80 फीट लंबा इको ब्रिज बनाया गया है। पुल पर चारों तरफ ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं, जिससे पुल पर होने वाली गतिविधि के बारे में पता चल सकेगा। डीएफओ चंद्रशेखर जोशी ने कहा कि सरीसृपों की जिंदगी बचाने के लिए महकमे ने इको ब्रिज बनाया है। रिजल्ट अच्छे रहे तो दूसरी जगहों पर भी इको ब्रिज बनाए जाएंगे।