image: Story of Shyamsunder and Jeevan of Nainital

उत्तराखंड: लॉकडाउन में नौकरी गई तो शुरू किया चप्पल, एलईडी बनाना..अब अच्छी कमाई

बेतालघाट के दो भाईयों की कहानी कोरोना काल में उम्मीद की एक किरण सरीखी है। आप भी जरूर पढ़िए
Dec 5 2020 6:52PM, Writer:Komal Negi

ये कहानी पहाड़ के दो भाईयों की है। दूसरे हजारों पहाड़ी भाईयों की तरह कोरोना काल इनके लिए भी मुसीबत बनकर आया। दोनों भाई पहले शहर में नौकरी करते थे, लेकिन कोरोना महामारी ने कमाई का वो जरिया भी छीन लिया। तब दोनों भाई गांव लौट आए। ये लोग चाहते तो दूसरे लोगों की तरह हालात बेहतर होने का इंतजार कर सकते थे, लेकिन इन्होंने ऐसा करने की बजाय खुद का काम शुरू करने की ठानी। जहां चाह, वहां राह। आज एक भाई जहां नैनीताल में चप्पल बनाने का काम शुरू कर चुका है, तो वहीं दूसरा पशुपालन और एलईडी बल्ब बनाकर अच्छी कमाई कर रहा है। इनका नाम है श्यामसुंदर और जीवन। दोनों सगे भाई नैनीताल के बेतालघाट में रहते हैं। आपदा को अवसर में कैसे बदलना है, ये कोई इन दोनों भाईयों से सीखे। लॉकडाउन से पहले श्यामसुंदर चंडीगढ़ में जॉब कर रहे थे। वो किसी कंपनी में एकाउंटेंट थे। आगे पढ़िए

यह भी पढ़ें - बधाई दीजिए..उत्तरकाशी की प्रज्ञा बनी मिस इंडिया सुपर मॉडल
12 साल से वो इसी जगह काम कर रहे थे, लेकिन मार्च में लगे लॉकडाउन के चलते उनकी नौकरी छूट गई। श्यामसुंदर गांव लौट आए। यहां हाथ पर हाथ धरे बैठने की बजाय उन्होंने चप्पल बनाने का काम शुरू किया। उन्हें देखकर छोटे भाई जीवन ने भी पशुपालन और एलईडी बल्ब को रोजगार का जरिया बनाया। आज दोनों भाई अपने फैसले से संतुष्ट दिखते हैं। श्यामसुंदर और जीवन के पिता गोपाल सिंह भी अपने दोनों बेटों को गांव में काम करते देख खुश हैं। श्यामसुंदर कहते हैं कि वो गांव में रहना चाहते थे, लेकिन सबसे बड़ी समस्या रोजगार की थी। अच्छी बात ये है कि बेरोजगार युवा अब गांव लौटकर अपने संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कर रहे हैं। स्वरोजगार को अपना रहे हैं, उसका महत्व समझने लगे हैं। राज्य सरकार को भी स्वरोजगार के लिए आगे आ रहे युवाओं की हरसंभव मदद करनी चाहिए, ताकि उत्तराखंड के गांव आबाद हो सकें। और ये तभी होगा जब हर युवा के पास रोजगार होगा।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home