उत्तराखंड: इस बुलंद इमारत की तारीफ़ करती है दुनिया...दाल, गुड़ और पत्थर के चूरे से हुई थी तैयार
गौथिक शैली की जिस बिल्डिंग में उत्तराखंड हाईकोर्ट का संचालन होता है, वो 120 साल पहले बनाई गई थी। तब यहां अंग्रेजों का सचिवालय हुआ करता था। जानिए इसका गौरवशाली इतिहास
Dec 17 2020 3:18PM, Writer:Komal Negi
अंग्रेजों को देश छोड़े कई दशक हो गए, लेकिन वो अपने पीछे ब्रिटिश वास्तुकला के ऐसे कई दुर्लभ नमूने छोड़ गए हैं, जिन्हें आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित करने की जरूरत है। नैनीताल में स्थित सचिवालय भवन ऐसी ही दुर्लभ इमारतों में से एक है। आज हम इसे उत्तराखंड हाईकोर्ट के नाम से जानते हैं। हालांकि इसे साल 1900 में अंग्रेजों ने सेक्रेटिएट बिल्डिंग के तौर पर तैयार किया था। इस भवन के बनने के पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है। साल 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में नैनीताल ही एक ऐसी जगह थी, जहां क्रांति का ज्यादा असर नहीं था। साल 1862 में इसे उत्तर पश्चिमी प्रांत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया। तब प्रशासनिक कार्य करने के लिए यहां एक सचिवालय भवन बनाने की जरूरत थी। साल 1896 में सरकार ने बांर्सडेल एस्टेट का अधिग्रहण किया और अधिशासी अभियंता एफ. ओ ओरटेल की परिकल्पना के आधार पर इमारत का निर्माण शुरू किया गया।
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इस तरह साल 1900 में गौथिक शैली पर आधारित ये बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई। इतिहासकार प्रो. अजय रावत के मुताबिक इस शैली की उत्पत्ति उत्तरी फ्रांस, इंग्लैंड और लोंबार्डी, उत्तर इटली में हुई थी। नैनीताल में स्थित सचिवालय बिल्डिंग को देशभर में गौथिक शैली का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है। नैनीताल सेक्रेटिएट के निर्माण में जिस मसाले का इस्तेमाल किया गया है, उसे उड़द की दाल, गुड़ और पत्थर के चूरे से तैयार किया गया था। जिससे इमारत में एक लचीलापन आ जाता है। जो कि इसे भूकंपरोधी बनाता है। ये बेजोड़ इमारत नैनीताल के वैभवशाली इतिहास की कहानी बताती है। आज यहां उत्तराखंड का सबसे बड़ा न्याय का मंदिर यानि हाईकोर्ट स्थित है। उत्तराखंड में पुरातनकाल की कई विश्व स्तरीय इमारतें हैं, हमें इनका संरक्षण करने की जरूरत है, ताकि इन्हें भावी पीढ़ी के लिए संजोया जा सके।