image: Women security details in uttarakhand

उत्तराखंड में हर साल 200 बेटियां हो रहीं हैवानियत की शिकार.. पढ़िए चौंकाने वाली रिपोर्ट

कानून व्यवस्था बनाए रखने पर हर साल करोड़ों खर्च होते हैं, लेकिन फिर भी सरकार-प्रशासन बेटियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाए रखने में विफल साबित हुए हैं।
Jan 3 2021 8:08PM, Writer:Komal Negi

एक वक्त था जब पहाड़ में किसी परिवार की बेटी को पूरे गांव की बेटी माना जाता था। उसे मान-सम्मान और सुरक्षित माहौल मिलता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में सब बदल गया। महिलाएं और बेटियां घर से बाहर निकलें, पढ़ने जाएं, किसी समारोह में जाएं या अपनी नौकरी पर जाएं, उनके लिए असुरक्षा का भय आतंक बनकर साथ चलता है। प्रदेश में हर दिन रेप और यौन हिंसा के मामले दर्ज होते हैं। कानून व्यवस्था बनाए रखने पर हर साल करोड़ों खर्च होते हैं, लेकिन फिर भी सरकार-प्रशासन बेटियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाए रखने में विफल साबित हुए हैं। आपको ये जानकर बेहद शर्मिंदगी महसूस होगी कि साल 2001 से साल 2019 तक प्रदेश में दुष्कर्म के 3956 केस रिपोर्ट हुए। यानि प्रदेश में हर साल दुष्कर्म के औसतन 208 केस सामने आए।

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ये वो मामले हैं, जिनमें पुलिस ने केस दर्ज कर कार्रवाई की। देवभूमि माने जाने वाले उत्तराखंड में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध चिंता का विषय हैं। पिछले दिनों हल्द्वानी में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने पुलिस मुख्यालय से आरटीआई के जरिए महिला उत्पीड़न संबंधी मामलों की जानकारी मांगी थी। इन आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में रेप के सबसे कम केस साल 2001 में दर्ज हुए। उस वक्त 74 केस सामने आए थे। सबसे ज्यादा 561 केस साल 2018 में दर्ज हुए। हर साल महिलाओं संबंधी अपराध बढ़ रहे हैं। रेप के ज्यादातर मामले मैदानी क्षेत्रों में सामने आए। मैदान की तुलना में पहाड़ में फिर भी स्थिति ठीक है, लेकिन यहां भी महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। प्रदेश में किस वर्ष में कितने दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए, ये भी बताते हैं।

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साल - दुष्कर्म के मामले
2001- 74
2002- 89
2003- 107
2004- 115
2005- 133
2006- 147
2007- 117
2008- 87
2009- 111
2010- 121
2011- 129
2012- 148
2013- 228
2014- 270
2015- 283
2016- 336
2017- 374
2018- 561
2019- 526
इस तरह देवभूमि में महिला अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। साल 2017 से 2019 के बीच प्रदेश में महिलाओं पर तेजाब फेंकने के 7 केस रिपोर्ट हुए। प्रदेश में लगातार बिगड़ते माहौल से महिलाएं और बेटियां खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। ऐसे में बेटियों को सुरक्षित माहौल देने की जरूरत है। ये सरकार और कानून के साथ-साथ हमारी जिम्मेदारी भी है।


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