चमोली आपदा: दो घंटे तक मलबे में दबी रही रैणी गांव की मन्जू..चमत्कार से बची जान
आपदा के दो घंटे बाद जब गांव वालों ने मंजू की तलाश शुरू की तो वो मलबे में तब्दील हो चुके घर के एक कोने में डरी सहमी मिली। आगे पढ़िए पूरी खबर
Feb 11 2021 12:21PM, Writer:Komal Negi
चमोली में आई आपदा का सैलाब अपने पीछे कई डरावनी कहानियां छोड़ गया है। हमेशा शांत होकर बहने वाली ऋषिगंगा ने रविवार को यहां ऐसा रौद्ररूप दिखाया, कि लोग सिहर गए। कई जिंदगियों को लील लेने के बाद सैलाब तो गुजर गया, लेकिन रैणी के लोग अब तक सदमे में हैं। गांव के लोग जलप्रलय का खौफनाक मंजर बयां कर रहे हैं। आपदा के दौरान जो लोग बचने में कामयाब रहे, उनमें रैणी गांव की मंजू रावत भी शामिल हैं। मंजू दो घंटे तक जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही। उस दौरान वह अपने घर के अंदर थी। इस जलजले में मंजू का घर तबाह हो गया। 29 साल की मंजू ने बताया कि आपदा के वक्त उसकी मां गांव के पास स्थित जल स्त्रोत में पानी भरने गई थी। घर पर मंजू के साथ उसकी सहेली रजनी राणा और उसकी छह साल की बेटी प्रियंका थी। सुबह करीब साढ़े नौ बजे जब सैलाब आया तो मंजू घर में फंसकर रह गई। इस बीच रजनी और प्रियंका किसी तरह घर से निकलने में कामयाब रहीं।
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मंजू करीब दो घंटे तक घर में फंसी रही। आपदा में उसका घर पूरी तरह खंडहर हो गया है। हादसे में मंजू के सिर और पांव में चोटें भी आईं, लेकिन भगवान की कृपा से मंजू की जान बच गई। आपदा के दो घंटे बाद जब गांव वालों ने मंजू की तलाश शुरू की तो वो घर के एक कोने में डरी सहमी मिली। मंजू के पिता की सालों पहले मौत हो चुकी है। घर में मां के अलावा मंजू का कोई सहारा नहीं है। ठिकाने के नाम पर छह कमरों का घर हुआ करता था, लेकिन आपदा के चलते वो भी तबाह हो गया। मंजू ने बताया कि आपदा के दौरान वो पूरे वक्त भगवान को याद करती रहीं। यही प्रार्थना करती रहीं कि उन्हें कोई बचाने आ जाए। ईश्वर की कृपा से मंजू अब सुरक्षित है, लेकिन उसके पास रहने के लिए घर नही बचा। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मंजू की मदद की गुहार लगाई है, ताकि गरीब परिवार को आसरा मिल सके।