उत्तराखंड: रहने के लिहाज से खराब हो गया है देहरादून..पढ़िए लेटेस्ट सर्वे रिपोर्ट
ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स अर्थात सुगम जीवन सूचकांक 2020 में देहरादून कई पायदान नीचे खिसक कर 29वें पायदान पर पहुंच गया है। देहरादून के नगर निकाय की स्थिति तो और भी बुरी है।
Mar 8 2021 7:27PM, Writer:Komal Negi
एक वक्त था, जब लोग रिटायरमेंट के बाद दून में बसने का सपना देखा करते थे। यहां की स्वच्छ आबोहवा में सुकून की जिंदगी बिताना चाहते थे, लेकिन गुजरते वक्त के साथ सब बदल गया। आपको ये जानकर तगड़ा झटका लगेगा कि अब दून बसने लायक नहीं रहा। ये हम नहीं कह रहे, इस बात का खुलासा ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स के हालिया सर्वे में हुआ है। इस सर्वे में देशभर के उन तमाम बेहतरीन शहरों का सर्वे किया गया था, जो रहने लायक हैं। सर्वे के दौरान 111 शहरों के बीच बसने योग्य शहरों का सर्वे किया गया था। ‘ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स’ अर्थात सुगम जीवन सूचकांक 2020 में देहरादून कई पायदान नीचे खिसक कर 29वें पायदान पर पहुंच गया है।
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देहरादून के नगर निकाय की स्थिति तो और भी बुरी है। नगर निकाय की सेवाओं के लिए देहरादून नगर निगम को 47वां स्थान मिला है। केंद्र सरकार ने दो कैटेगरी के तहत सर्वे कराया था। पहली कैटेगरी में 10 लाख से कम आबादी वाले 62 शहर शामिल थे। दूसरी कैटेगरी में 10 लाख से अधिक आबादी वाले 49 शहरों का सर्वे कराया गया। 10 लाख से कम आबादी वाले बसने योग्य शहरों की सूची में देहरादून 29वे नंबर पर है। सर्वे में देहरादून के पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह नगर निगम की खराब कार्यशैली को माना जा रहा है। देहरादून नगर निगम 47वें स्थान पर है। जबकि हमारे पड़ोसी सहारनपुर के नगर निगम को 22वां स्थान मिला है।
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आपको बता दें कि बसने योग्य शहरों को लेकर पहला सर्वे साल 2018 में हुआ था। उस वक्त सभी शहरों को एक ही श्रेणी में रखा गया था। इस सर्वे में देहरादून 80वें नंबर पर था। इस बार बसने योग्य शहरों का सर्वे दो कैटेगरी में हुआ। जिसमें देहरादून को राष्ट्रीय औसत पर 51.38 फीसदी के मुकाबले सिर्फ 49.81 फीसदी अंक मिले। सर्वे में जीवन की गुणवत्ता, सेवाओं की स्थिति, स्थिरता, आर्थिक क्षमता, प्रशासन, योजना, तकनीक और लोगों की राय को आधार बनाया गया था। सर्वे में बेंगलुरु पहले, पुणे दूसरे और अहमदाबाद तीसरे स्थान पर रहा।