image: Ram Sethu stone in Haridwar Mahakumbh

उत्तराखंड: महाकुंभ में आकर्षण का केन्द्र बना रामसेतु का पत्थर..ये पानी में डूबता नहीं है

रामेश्वरम से हरिद्वार लाया गया चमत्कारी पत्थर पानी पर तैर रहा है। जिसे देख लोग हैरान हैं। कहते हैं ये पत्थर 9 हजार साल पुराना है।
Apr 10 2021 1:50PM, Writer:Komal Negi

रामेश्वरम से लेकर श्रीलंका के बीच बना रामसेतु आज भी पौराणिक इतिहास का बड़ा रहस्य बना हुआ है। ये पुल जितना रहस्यमयी है, उतने ही रहस्यमयी हैं इस पुल के निर्माण में लगे पत्थर। कहते हैं कि इस पुल को बनाने में ऐसे पत्थरों का इस्तेमाल हुआ था, जो पानी में डूबते नहीं थे। रामसेतु के एक ऐसे ही चमत्कारी पत्थर के दर्शन इन दिनों हरिद्वार में हो रहे हैं। यहां रामसेतु का पत्थर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। रामेश्वरम से हरिद्वार लाया गया ये पत्थर पानी में तैर रहा है। जिसे देख लोग हैरान हैं। महाकुंभ में जूना अखाड़े में बनी छावनी में अद्भुत रामसेतु पत्थर के दर्शन कर श्रद्धालु पुण्य के भागी बन रहे हैं। रामसेतु का ये पत्थर करीब 9000 वर्ष पुराना त्रेता युग का बताया जाता है। जो कलियुग में साधु-संतों और गुरुओं की धरोहर है। इस चमत्कारी पत्थर को रामेश्वरम से हरिद्वार लाया गया है। पत्थर का वजन 21 किलो है। हैरानी की बात ये है कि इतना वजनी होने के बावजूद ये पत्थर पानी में डूबता नहीं है, बल्कि तैरता रहता है। आगे पढ़िए

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नागा संन्यासी दौलत गिरि कहते हैं कि यह हमारे सनातन धर्म की पहचान और धरोहर है। जिन पर प्रभु श्रीराम कृपा करें वो पत्थर भी तर जाते हैं। रामसेतु पत्थर के दर्शन मात्र से ही भक्तजनों की मनोकामना पूरी हो जाती है। इस पत्थर पर प्रभु श्रीराम के पदचिन्ह हैं और उनका नाम भी लिखा है। धार्मिक मान्यता है कि जब लंकापति रावण की कैद से मां सीता को मुक्त कराने के लिए प्रभु श्रीराम दक्षिण भारत के समुद्र तट रामेश्वरम पहुंचे तो सामने विशाल समुद्र होने की वजह से उनका लंका पहुंचना मुश्किल था। तब नल और नील नामक दो वानरों ने पत्थरों पर राम नाम लिखकर लंका और रामेश्वरम के बीच सेतु बनाया था। जिसके बाद श्रीराम और वानर सेना लंका पहुंची और रावण का वध कर राम जी माता सीता को लेकर अयोध्या लौटे थे। रामसेतु पर नासा समेत अलग-अलग संस्थानों ने कई शोध किए, बावजूद इसके रामसेतु से जुड़े कई रहस्य अभी भी समुद्र के गर्भ में छिपे हैं।


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