उत्तराखंड पुलिस की हेमा ऐठानी का शानदार काम..मशरूम फार्मिंग से महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
अल्मोड़ा पुलिस कार्यालय में तैनात आरक्षी हेमा एठानी ने ऑफ सीजन में मशरूम का सफल उत्पादन कर अल्मोड़ा जिले में पुलिस परिवार की सभी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की अनोखी पहल की शुरुआत की है।
Apr 12 2021 12:45PM, Writer:Komal Negi
आत्मनिर्भर भारत.... कोरोना काल के बाद से ही आत्मनिर्भर भारत का नारा समस्त देश में गूंज उठा है और उत्तराखंड में भी कई लोग आत्मनिर्भरता की जीती-जागती मिसाल पेश कर चुके हैं। आत्मनिर्भर भारत बनाने की ओर उत्तराखंड में कई कोशिशें की जा रही हैं। आत्मनिर्भरता की यह चिंगारी अल्मोड़ा जिले में भी तेजी से फैल रही है और कई महिलाओं ने अपने दम पर कुछ कर दिखाने का ठाना है और भी आत्मनिर्भरता की राह पर चल पड़ी हैं।अब अल्मोड़ा के पुलिस परिवारों की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने की एक सराहनीय पहल की जा रही है। जी हां, उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में पुलिस परिवार की सभी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अल्मोड़ा पुलिस कार्यालय में तैनात आरक्षी हेमा एठानी ने कमर कस ली है। आरक्षी हेमा एठानी ने खाली पड़े सरकारी भवन का ऐसा उपयोग किया जिसको देखकर हर कोई दंग रह गया। उन्होंने खाली पड़े सरकारी भवन का उपयोग मशरूम उत्पादन के लिए किया और ऑफ सीजन में मशरूम का सफल उत्पादन भी कर दिखाया है। इसी के साथ उन्होंने समाज में एक ठोस उदाहरण भी दिया है। आरक्षी हेमा ऐठानी की यह पहल अल्मोड़ा जिले के पुलिस परिवारों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए की गई है। वे पुलिस परिवार की महिलाओं को स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं और उन्होंने ऑफ सीजन में मशरूम का उत्पादन कर यह साबित कर दिया है आत्मनिर्भर बनने में कुछ भी चीज आड़े नहीं आती है और मेहनत और लगन के साथ हर चीज मुमकिन है। बता दें कि पुलिस परिवार की महिलाओं को पुलिस कार्यालय में मशरूम उत्पादन के लिए प्रेरित करने के लिए उन्होंने एक कार्यशाला का भी आयोजन किया जिसमें महिलाओं ने मशरूम उत्पादन के गुर सीखे।
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पुलिस कार्यालय में कार्यरत एलआईयू आरक्षी हेमा एठानी ने बताया कि उनकी प्रेरणा प्रदेश के डीजीपी अशोक कुमार की पत्नी अलकनंदा अशोक हैं जो लंबे समय से पुलिस परिवार की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल में जुटी हुई हैं और अलकनंदा अशोक से ही प्रेरणा लेकर उन्होंने मशरूम उत्पादन करने की ठानी। उन्होंने बताया कि जिस सरकारी भवन में रहती है उसके पास ही एक अन्य भवन खराब अवस्था में पड़ा है और उन्होंने उस भवन को उपयोग में लाते हुए मशरूम का उत्पादन शुरू किया। ऑफ सीजन में उनको मशरूम का उत्पादन करने में उनको कोई भी समस्या नहीं आई और महज 42 दिनों में ही उन्होंने मशरूम का उत्पादन कर दिखाया। उनकी मेहनत रंग लाई और 42 दिनों के अंदर मशरूम उग आए। उन्होंने बताया कि मशरूम उगाने की सलाह उन्होंने बागेश्वर में अपनी बहन ममता मेहता से ली और अब वे मशरूम उत्पादन की टेक्निक आसपास के पुलिस परिवारों की महिलाओं को भी सिखाना चाहती हैं ताकि वे भी आत्मनिर्भर बन सकें। वे आसपास की महिलाओं को भी मशरूम का उत्पादन करने के लिए प्रेरित कर रही हैं और इसी को लेकर उन्होंने एक कार्यशाला का आयोजन भी किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पुलिस परिवारों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए जागरूक करना था और उन्होंने इस कार्यशाला में महिलाओं को मशरूम उत्पादन के गुर सिखाए।