उत्तराखंड में कोरोना की तीसरी लहर की एंट्री? 2 हफ्तों में 1618 बच्चे संक्रमित..सावधान रहें
उत्तराखंड में दो हफ्ते के भीतर 1618 बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए। अपने बच्चों को गंभीर रूप से संक्रमित होते देखना और उन्हें गंवाना लोगों को बहुत दर्द दे रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट
May 17 2021 10:48PM, Writer:Komal Negi
कोरोना वायरस की दूसरी लहर बड़ों के अलावा बच्चों के लिए भी खतरनाक साबित हो रही है। म्यूटेशन के बाद इसके नए स्ट्रेन मासूमों की जान के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं। प्रदेश में बड़ों के साथ बच्चे भी बड़ी तादाद में कोरोना संक्रमण की जद में आ रहे हैं। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सवाल ये है कि क्या उत्तराखंड में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है। देशभर के जानकारों का कहना है कि कोरोन की तीसरी लहर बच्चों पर सबसे ज्यादा असर करेगी लेकिन उत्तराखंड में अभी से ही मामले सामने आ रहे हैं। अपने बच्चों को गंभीर रूप से संक्रमित होते देखना और उन्हें गंवाना लोगों को बहुत दर्द दे रहा है। हालात कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पिछले दस दिनों के भीतर उत्तराखंड में करीब 1000 बच्चों में कोरोना संक्रमण पाया गया। इन सभी बच्चों की उम्र 9 साल से कम है। बच्चों में संक्रमण के बढ़ते मामलों से प्रदेश प्रशासन में हड़कंप मचा है। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों में कोरोना संक्रमण संबंधी डेटा जारी करते हुए बताया कि कुछ बच्चों को गंभीर हालत में अस्पतालों में भी भर्ती करना पड़ा है। आगे पढ़िए
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विशेषज्ञ पहले ही कह चुके हैं कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होगी, लेकिन उत्तराखंड में अभी से इसके गंभीर नतीजे दिखने लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड पर गौर करें तो पिछले एक साल में उत्तराखंड में कुल 2131 बच्चे कोविड-19 की चपेट में आए। इस साल 1 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच 264 बच्चे जांच में पॉजिटिव पाए गए थे। जबकि 16 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच प्रदेश में 1053 बच्चे कोरोना संक्रमित हुए। मई में ये आंकड़ा और बढ़ गया। 1 मई से 14 मई के बीच के जो आंकड़े आए हैं, उनके मुताबिक राज्य में 1618 बच्चे कोरोना के शिकार हुए। विशेषज्ञों का साफ कहना है कि राज्य सरकार टेस्टिंग बढ़ाने और मौतों पर कंट्रोल करने में बुरी तरह नाकाम रही, जिसका खामियाजा अब मासूम भुगत रहे हैं। उत्तराखंड में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बच्चे भी पहले की तुलना में अधिक संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार की चुनौतियां बढ़ गई हैं। बच्चों को कोरोना के प्रकोप से बचाने के लिए तैयारियों में बदलाव करना जरूरी है।