image: Sunder Lal Bahuguna passed away

उत्तराखंड से दुखद खबर...नहीं रहे चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदर लाल बहुगुणा

ऋषिकेश एम्स से बेहद दुखद खबर सामने आई है। चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा नहीं रहे।
May 21 2021 12:33PM, Writer:Komal Negi

ऋषिकेश एम्स से उत्तराखंड के लिए आज बेहद दुखद खबर सामने आई है। चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा अब हमारे बीच नहीं रहे। आपको बता दें कि कुछ वक्त पहले उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया था। उनका लगातार इलाज चल रहा था और तबीयत में उतार-चढ़ाव हो रहा था। अब दुखद खबर सामने आई है कि सुंदरलाल बहुगुणा हमारे बीच नहीं रहे। 94 साल के सुंदरलाल बहुगुणा का नाम पर्यावरण के क्षेत्र में सम्मान के साथ लिया जाता है। उनके चले जाने से उत्तराखंड को बहुत बड़ी क्षति पहुंची है। न सिर्फ देश बल्कि दुनिया में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के बड़े प्रतीक थे सुंदरलाल बहुगुणा। 1972 में चिपको आंदोलन को धार दी और देश-दुनिया को वनों के संरक्षण के लिए प्रेरित किया। परिणाम ये रहा कि चिपको आंदोलन की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई पड़ी। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी बहुगुणा का नदियों, वनों व प्रकृति से बेहद गहरा जुड़ाव था। वह प्रकृति को सबसे बड़ी आर्थिकी मानते थे। यही वजह भी है कि वह उत्तराखंड में बिजली की जरूरत पूरी करने के लिए छोटी-छोटी परियोजनाओं के पक्षधर थे। इसीलिए वो टिहरी बांध जैसी बड़ी परियोजनाओं के पक्षधर नहीं थे। इसे लेकर उन्होंने वृहद आंदोलन शुरू कर अलख जगाई थी। उनका नारा था-'धार ऐंच डाला, बिजली बणावा खाला-खाला।' यानी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पेड़ लगाइये और निचले स्थानों पर छोटी-छोटी परियोजनाओं से बिजली बनाइये। सादा जीवन उच्च विचार को आत्मसात करते हुए वह जीवनपर्यंत प्रकृति, नदियों व वनों के संरक्षण की मुहिम में जुटे रहे। बहुगुणा ही वह शख्स थे, जिन्होंने अच्छे और बुरे पौधों में फर्क करना सिखाया।’
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