केदारनाथ में हर दिन शीर्षासन कर विरोध कर रहे हैं पुरोहित, आखिर कब पूरी होगी मांग?
केदारनाथ धाम में प्रतिदिन शीर्षासन कर देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ विरोध प्रकट कर रहे हैं पुरोहित। तीरथ सरकार वादे के बावजूद भी अबतक चारों धाम को देवस्थानम बोर्ड से बाहर नहीं कर पाई है।
Jun 17 2021 12:24PM, Writer:Komal Negi
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री की कमान संभालते ही प्रदेश में कुछ अहम फैसले लिए थे। भूतकाल में त्रिवेंद्र सरकार ने अपने कार्यकाल में जो भी फैसले लिए थे उन फैसलों के ऊपर तीरथ सरकार में गहन सोच विचार कर जरूरी बदलाव किए थे। मुख्यमंत्री की कमान संभालते ही तीरथ सिंह रावत ने त्रिवेंद्र सरकार के एक और अहम फैसले को पलटायव था। तीरथ सरकार ने देवस्थानम बोर्ड से चारधाम समेत सभी 51 मंदिरों को बाहर करने की घोषणा की थी जिसके बाद उनकी जमकर सराहना हुई थी। मगर अबतक चार धाम समेत देवस्थानम बोर्ड के अधीन आने वाले मंदिरों को बोर्ड से छुटकारा नहीं मिल पाया है जिससे तीर्थ पुरोहितों के बीच खासी नाराजगी देखी जा रही है। देवस्थानम बोर्ड अब भी चार धाम की व्यवस्थाओं में दखलअंदाजी कर रहा और चारधाम के सभी तीर्थ पुरोहित इस बोर्ड का विरोध कर रहे हैं। केदारनाथ के तीर्थपुरोहित आचार्य संतोष त्रिवेदी शीर्षासन कर देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे हैं। आपको बता दें कि वे एक सप्ताह तक हर दिन मंदिर परिसर में 20 से 25 मिनट तक शीर्षासन कर देवस्थानम बोर्ड का विरोध करेंगे। उनका कहना है कि भाजपा सरकार की ओर से चार धाम पर देवस्थानम बोर्ड का थोपा जाना उनको जरा भी मंजूर नहीं है। वे 1 सप्ताह तक मंदिर परिसर में प्रतिदिन शीर्षासन कर अपना विरोध प्रकट करेंगे।
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दरअसल देवस्थानम बोर्ड मंदिरों में होने वाले भ्रष्टाचार के ऊपर नजर रखने के लिए बनाया गया था और त्रिवेंद्र सरकार ने चार धाम समेत पहाड़ों के 51 मंदिरों को इस देवस्थानम बोर्ड के अधीन कर दिया था। राज्य सरकार का कहना था कि चार धाम देवस्थानम अधिनियम गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ और उसके आसपास के 51 मंदिरों की व्यवस्था में सुधार के लिए गठित किया गया है जिसका मकसद है कि यहां पर आने वाले यात्रियों को कोई भी समस्याओं का सामना ना करना पड़े और उनको बेहतर सुविधाएं भी मिलें। इसी के साथ यह बोर्ड चारधाम समेत सभी मंदिरों की कार्यप्रणाली के ऊपर नजर भी रखेगा और इससे मंदिर में चढ़ने वाले चढ़ावे का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा। त्रिवेंद्र सरकार में लिए गए इस फैसले के बाद जमकर बवाल हुआ था और सभी धामों के पुरोहितों एवं पुजारियों ने इसका विरोध किया था। चार धाम देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रही चार धाम तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी पंचायत का कहना था कि सरकार केवल पहाड़ के ही 51 मंदिरों को ही कब्ज़ा करना चाह रही है। हरिद्वार और मैदानी क्षेत्र के मंदिरों, धार्मिक संस्थाओं को छूने की सरकार की हिम्मत नहीं है। तीरथ सरकार बनी तब चार धाम सहित 51 मंदिरों को इस बोर्ड के बाहर करने का फैसला जरूर लिया गया मगर अबतक फैसले पर अमल नहीं हो पाया है और अब भी चार धाम समेत पहाड़ के 51 मंदिर देवस्थानम बोर्ड के अधीन हैं। ऐसे में चारों धाम में जमकर इसका विरोध हो रहा है।
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पिछले वर्ष भी आचार्य संतोष त्रिवेदी ने केदारनाथ में एक माह से अधिक समय तक सुबह दोपहर शाम को देवस्थानम बोर्ड का विरोध किया था। उनका कहना है कि सरकार पहाड़ों के मंदिरों पर कब्जा करना चाहती है जो वे नहीं होने देंगे। केवल केदारनाथ में ही नहीं बल्कि यमुनोत्री और गंगोत्री में भी देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहित काली पट्टी बांध कर विरोध कर रहे हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि अगर सरकार ने देवस्थानम बोर्ड पर फैसला नहीं लिया तो सभी धामों के तीर्थ पुरोहितों द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा। उनका कहना है कि तीरथ सरकार ने देवस्थानम बोर्ड के दायरे से चारधाम सहित 51 मंदिरों को बाहर करने का वादा किया था मगर आजतक वो वादा पूरा नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार देवस्थानम बोर्ड पर कोई भी निर्णय नहीं लेती है या पुनर्विचार नहीं करती है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। वहीं यमुनोत्री धाम में भी तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए देवस्थानमबोर्ड को तत्काल भंग करने की मांग की है।