उत्तराखंड के कोदा (मंडुवा) की विदेश में डिमांड..डेनमार्क के बाद इन देशों में सप्लाई की तैयारी
पहाड़ में जो मंडुवा थाली से गायब होता जा रहा है, उसे पश्चिमी देशों में इम्युनिटी बूस्टर के रूप में पहचान मिली है। यूरोपीय देशों में मंडुवा खूब खाया और खरीदा जा रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट
Jun 28 2021 3:01PM, Writer:Komal Negi
पहाड़ी अनाज पौष्टिकता का खजाना हैं। बात स्वाद की हो या फिर सेहत की। ये हर पैमाने पर पूरी तरह खरे उतरते हैं। पहाड़ में मिलने वाला मंडुवा एक ऐसा ही सुपरफूड है। कोरोना काल में लोगों ने बीमारी से लड़ने और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए मंडुवे का इस्तेमाल करना शुरू किया और इसके शानदार नतीजे भी दिखे। अब देश तो देश विदेशों में भी लोग पहाड़ी मंडुवे की मांग कर रहे हैं। उत्तराखंड शासन ने भी विदेशों में मंडुवे की सप्लाई की पूरी तैयारी कर ली है। पिछले साल यानी 2020 में 20 टन मंडुवा उत्तराखंड से डेनमार्क भेजा गया था। अब साउथ अमेरिका और दूसरे यूरोपीय देशों को मंडुवा भेजने की तैयारी चल रही है। पहाड़ में जो मंडुवा थाली से गायब होता जा रहा है, उसे पश्चिमी देशों में इम्युनिटी बूस्टर के रूप में पहचान मिली है। विदेशों में मंडुवा सप्लाई के लिए प्रदेश में मंडुवा के कलेक्शन सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। बता दें कि साल 2015 में उत्तराखंड सरकार ने गर्भवती महिलाओं को मंडुवा और काले भट देना शुरू किया था।
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जिससे मातृत्व मृत्यु दर में कमी देखने को मिली। इसी साल सरकार ने मंडुवा बोनस योजना भी शुरू की। जिसके तहत इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर प्रति क्विंटल बोनस पर 300 से 700 रुपये प्रोत्साहन राशि भी दी गई। सरकार की तरफ से मदद मिलने लगी तो 2016 में मंडुवा और मोटे अनाजों की बुवाई का क्षेत्र बढ़ा। लोग मंडुवा समेत पहाड़ी अनाजों की खेती करने लगे। जिससे उनकी आर्थिकी मजबूत हो रही है। इन दिनों बाजार में मंडुवा के साथ ही पहाड़ी दाल, गहत, राई, जौ, तेल, शहद, गाय का घी और बुरांश के जूस की मांग तेजी से बढ़ रही है। पश्चिमी देशों में लोग मंडुवे को सुपरफूड के रूप में अपना रहे हैं। इसमें फाइबर, कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन समेत कई तरह के पोषक तत्व होते हैं। मंडुवा के नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। विदेशों में इसकी डिमांड बढ़ रही है, जिससे उत्तराखंड मंडुवा उत्पादन के क्षेत्र में इंटरनेशनल डेस्टिनेशन बनने की ओर बढ़ रहा है।