image: Dharchula MLA Harish Dhami reversed his statement

उत्तराखंड चुनाव से पहले कांग्रेस में चल क्या रहा है? धामी ने तो गजब ही कर दिया

कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान होते ही धारचूला विधायक हरीश धामी के नाराजगी भरे सुर सामने आए लेकिन अचानक पता चला कि वो नाराज ही नहीं हैं
Jul 23 2021 5:54PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

आगामी इलेक्शन को देखते हुए कांग्रेस पार्टी भी पूरी तैयारियों के साथ रण में उतर आई है। चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने का डंका बजाने के साथ ही उत्तराखंड की कांग्रेस पार्टी ने कल रात अपनी पूरी टीम बना ली है और इसी के साथ सियासी गलियारों में हलचल साफ देखने को मिल रही है। मिशन 2022 के लिए कांग्रेस ने रण में सेना उतार दी है। इस ऐलान से कई दिग्गज खुश हुए हैं मगर कई दिग्गजों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है। जी हां, कांग्रेस की अपनी ही पार्टी के कई लोग इस निर्णय से खुश नहीं लग रहे हैं। नाम के ऐलान होने के साथ ही कई विधायकों के चेहरे पर साफ तौर पर नाराजगी झलक रही है। खैर...इस बीच एक अलग ही खबर भी देखने-सुनने को मिली। खबर थी कि धारचूला के विधायक हरीश धामी अपनी पार्टी के निर्णय से इस कदर खफा हो गए हैं कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया है। खबर थी कि विधायक हरीश धामी ने कोर समिति का सदस्य बनने से इनकार कर दिया। कल रात तक जमकर नाराजगी दिखाने वाले हरीश धामी अब कह रहे हैं कि मेरी नाराजगी केवल इस बात को लेकर है की पार्टी में 44 कार्यकारी अध्यक्ष नहीं बनाना चाहिए। आगे पढ़िए

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हरीश धामी का कहना है कि आर्येंद्र शर्मा को कोषाध्यक्ष बनाया गया है उस पर मेरी आपत्ति है उनके अनुसार जिस व्यक्ति ने पार्टी के कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ चुनाव लड़ा उसको आप पार्टी में कोषाध्यक्ष बना दो तो उसका मैसेज जनता में सही नहीं जाएगा हालांकि हरीश धामी ने कहा कि हमारी मांग तो पूरी हो ही गई है हरीश रावत को पार्टी ने चेहरा बनाया है 2022 के चुनाव का इसके अलावा ब्राह्मण समाज से गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है, यह भी हमारे लिए खुशी की बात है। मीडिया से बात करने के बाद हरीश धामी नए प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल का स्वागत करने निकल पड़े साफ है। कल तक पार्टी छोड़ने की बात करने वाले लगता है मान गए हैं लेकिन यह नाराजगी भी अपने गुट के हित को लेकर नजर आती है। खास तौर पर हरीश गुट की राजनीति का आज तक का इतिहास देखा जाए तो कोई भी नेता बिना इशारे के कोई भी बयान नहीं देता यानी पार्टी आलाकमान ने रंजीत रावत भुवन कापड़ी और आर्येंद्र शर्मा को कोषाध्यक्ष बनाया तो इसे हरीश रावत गुट के लिए एक बड़ा झटका तो माना ही जा रहा था। ऐसे में लगता है हरीश धामी की नाराजगी और उसके बाद बयान अपने गुट के हितलाभ को देखकर ही सामने आई है।


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