देहरादून: जान हथेली पर रखकर वनकर्मी ने ब्लैक काइट को बचाया, लोगों ने की तारीफ
मांझे के कारण हर साल आसमान में उड़ने वाले बेजुबानों की जान आफत में पड़ती है. कई बेजुबानों की मांझे में फंसकर मौत हो जाती है, तो कई दफे राहगीर भी जख्मी होते रहे हैं
Aug 17 2021 4:50PM, Writer:साक्षी बड़थ्वाल
युवाओं का पतंगबाजी का शौक निरीह परिंदों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। पेड़ों पर अटके पतंग के मांझे में फंसकर परिंदों की जान जा रही है, पिछले कुछ सालों से पतंग उड़ाने के लिए चाईनीज मांझे का उपयोग तेजी से बढ़ा है। नायलोन का यह धागा कांच और अन्य रसायन लगाने से और खतरनाक हो जाता है, पतंगों का मांझा पेड़ों पर एक जाल की तरह उलझ जाता है। इन मांझों में आए दिन पक्षी फंसते हैं और तड़पकर फड़फड़ाते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला देहरादून से सामने आया जहाँ पुरानी तहसील परिसर में एक बेजुबान पक्षी ब्लैक काइट यानी चील पतंग के मांझों में फंसकर पेड़ के ऊपर उल्टा लटका हुआ था। वह तड़प रहा था, अपने पंखों को फैलाकर खुद को मांझे के बंधन से मुक्त कराने की कोशिश भी कर रहा था। लेकिन उसकी हर कोशिश नाकाम रही। आगे पढ़िए
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इस पर क्षेत्रीय नागरिकों की नजर पड़ी तो उन्होंने इसकी सुचना वन विभाग को दी, खबर मिलते ही मौके पर सूचना पाकर मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने इस बेजुबान पक्षी को पेड़ से उतारने की कोशिश की, लेकिन ऊंचाई अधिक होने की वजह से वन विभाग के कर्मचारी भी नाकाम रहे। वन कर्मचारियों ने इसके बाद फायर ब्रिगेड की स्पेशल क्रेन मंगवाई और उसकी मदद से रेस्क्यू शुरू किया। इसके बाद फायर ब्रिग्रेड की टीम बुलाई गई। घंटों मशक्कत के बाद फायर कर्मचारी लगभग 100 फीट की ऊंचाई पर मांझे में फंसकर तड़प रहे चील के पास पहुंचे लेकिन फिर भी कामयाबी नहीं मिली। वक्त कम था, इसलिए वन कर्मी प्रद्युम्न पेड़ पर ही चढ़ गए। कड़ी मशक्कत के बाद पेड़ में उलझे मांझे को काटकर चील को नीचे लाया और उसके पैरों से भी मांझा काटा। इसके बाद चील को पानी पिलाकर आजाद कर दिया गया। लोगों ने इस काम की खूब तारीफ की।