गढ़वाल: भारी भूस्खलन के बाद अलग थलग पड़े करीब 20 गांव, सरकार से मदद की गुहार
गांवों में जरूरत के सामान की किल्लत हो गई है। बिजली नहीं आ रही, घरों में पानी नहीं पहुंच रहा। ग्रामीण इतने परेशान हैं कि उन्होंने सरकार से क्षेत्र में हेली सेवा शुरू करने की मांग की है।
Aug 17 2021 5:44PM, Writer:Komal Negi
मानसूनी बारिश के चलते पहाड़ी इलाकों पर बड़ी बुरी बीत रही है। जगह-जगह संपर्क मार्ग बंद हैं। गांवों तक जरूरी सामान नहीं पहुंच पा रहा। लोग परेशान हैं, समझ नहीं पा रहे क्या करें। इस बीच एक बुरी खबर चमोली से आ रही है। यहां जोशीमठ-नीती बॉर्डर मार्ग पर तमक (मरखुडा) गांव के पास भूस्खलन होने से यातायात तीन दिन से बाधित हो रखा है। रोड बंद होने से रोजमर्रा की सामग्री और रसद ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पा रही। ग्रामीण इतने परेशान हैं कि उन्होंने सरकार से क्षेत्र में हेली सेवा शुरू करने की मांग की, ताकि उनकी मुश्किलों का समाधान निकल सके। तमक (मरखुडा) गांव जोशीमठ से 37 किमी दूर है। यहीं पर जोशीमठ-नीती बॉर्डर मार्ग भूस्खलन के चलते बंद हो गया है। रोड बंद होने से तमक, जुमा, कागा, गरपक, रविंग, द्रोणागिरी, जेलम, भपकुंड, कोषा, मलारी, कैलासपुर, मेहरगाव, कुरगति, फरक्या गांव, बाम्पा, गमशाली और नीती गांवों में रहने वाले लोग परेशान हैं। यहां दूरसंचार और बिजली की लाइनें ध्वस्त हो गईं हैं.
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गांव में न तो पानी आ रहा रहा है, न बिजली। लोग हर तरह से परेशान हैं। पिछले कई दिनों से ग्रामीण रोड खुलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन ये इंतजार बढ़ता ही जा रही है। दरअसल इस क्षेत्र में लैंडस्लाइल जोन बन गया है। जिससे मार्ग बार-बार बाधित हो रहा है। बीआरओ की टीमें रास्ता खोलने में जुटी हुई हैं, लेकिन खराब मौसम और पहाड़ से गिर रहे बोल्डरों की वजह से सफलता नहीं मिल रही। बॉर्डर रोड तीन दिन से बंद है, वाहन सड़कों पर फंसे हैं। सिर्फ ग्रामीण ही नहीं सेना के जवानों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं। सेना को रसद सामग्री पहुंचाने वाले वाहन और स्थानीय लोगों के वाहन भी मार्ग पर फंसे हुए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक रोड नहीं खुलती, तब तक के लिए सरकार को मूलभूत जरूरतों की पूर्ति के लिये क्षेत्र में हेली सेवा शुरू करानी चाहिए। ताकि बार्डर और आस-पास के गांवों में जरूरत का सामान पहुंच सके।