उत्तराखंड का शापित गांव..यहां आज भी भटकती हैं 8 आत्माएं, जानिए 6 दशक पहले की दास्तान
खौफ ऐसा कि लोग यहां आने से भी डरते हैं। लोग कहते हैं कि इस गांव में कुल 8 भूत हैं..पढ़िए ये कहानी
Aug 17 2021 6:22PM, Writer:तान्या बडोला
चंपावत जिले में आने वाला स्वाला गांव कभी लोगों से गुलज़ार रहता था, लेकिन आज इस गांव में सन्नाटा पसरा है। खौफ ऐसा कि लोग यहां आने से भी डरते हैं। लोग कहते हैं कि इस गांव में कुल 8 भूत हैं और अब इस गांव को भूतियां गांव के तौर पर जाना जाता है. कहते हैं कि इस गांव के भूत किसी भी इंसान को बसने नहीं देते हैं। 1952 से पहले ये भी एक आम गांव जैसा ही हुआ करता था..लेकिन इस साल 1952 में यहां कुछ ऐसा घटित हुआ जिसके बाद ये पूरा गांव वीरान हो गया।
स्वाला गांव- भूतों का गांव!
लोगों के मुताबिक साल 1952 में यहां से पीएसी की एक बटालियन गुज़री थी। इसी बीच बटालियन की एक गाड़ी खाई में गिर गई। इसमें मौजूद सैनिक मदद के लिए लोगों को पुकारते रहे लेकिन इस गांव के किसी भी व्यक्ति ने उनकी मदद नहीं की..बोला तो ये भी जाता है कि लोगों ने उनकी मदद करने के बजाय उनका सामान लूटना शुरु कर दिया। गाड़ी के अंदर फंसे जवान अपने बचाव के लिए गांव के लोगों के पुकारते रहें, लेकिन गांव के लोग उनका उनका सामान लूट कर भाग गए। जवानों की तड़प-तड़प गाड़ी में ही मौत हो गई।आगे पढ़िए
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कहा जाता है कि इस घटना के बाद से गांव में कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा। यहां रह रहे लोगों का गांव में रहना मुश्किल हो गया जिससे ये पूरा गांव खाली हो गया...बताया जाता है कि यहां इन सैनिकों की रुह आज भी घूमती है। उन सैनिकों की आत्मा यहां किसी भी व्यक्ति को टिकने नहीं देती..कई लोगों ने दावा किया है कि रात के समय उन्होंने इस सैनिकों को यहां घूमते देखा है। इस गांव के रहवासी जो इस घटना के बाद दूसरें गांव में चले गए उनके मुताबिक गांव में रात के समय निकलना मुश्किल हो गया था...हालांकि लोगों को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने जिस जगह वह गाड़ी गिरी थी वहां एक मंदिर का निर्माण भी करवाया, लेकिन स्थिति में खास बदलाव नहीं हुआ। आज भी वो मंदिर यहां मौजूद है..और हर यहां से हर गुजरने वाला व्यक्ति इस मंदिर में सिर झुकाने ज़रुर रुकता है। लेकिन ये गांव आज भी खाली ही है।
इस कहानी से हट कर स्वाला गांव के मूल निवासियों का कहना है कि बस गिरने की घटना सही है लेकिन गांव के खाली होने का कारण कोई भूत न होकर गांव का विकास न होना है