उत्तराखंड: मालूपाती में भारी बारिश के बाद बनी झील, डरे हुए ग्रामीणों को SDRF ने दिलाया भरोसा
एसडीआरएफ टीम ने कहा कि झील के मुहाने से पर्याप्त मात्रा में पानी डिस्चार्ज हो रहा है, जिससे फिलहाल किसी तरह के खतरे की संभावना नहीं है।
Aug 26 2021 6:04PM, Writer:Komal Negi
मुनस्यारी के लोग अब राहत की सांस ले सकते हैं। यहां मालूपाती में चट्टान टूटने से बनी झील के निरीक्षण का काम पूरा हो गया है। एसडीआरएफ ने झील का भौतिक निरीक्षण करने के बाद कहा कि झील के मुहाने से पर्याप्त मात्रा में पानी डिस्चार्ज हो रहा है, जिससे फिलहाल किसी तरह के खतरे की संभावना नहीं है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में झीलों के टूटने से जलप्रलय जैसी आपदाएं अक्सर सामने आती रही हैं। इस साल चमोली में आई जलप्रलय हो या फिर केदारनाथ आपदा। झील के टूटने से उत्तराखंड ने कैसी तबाही झेली, ये हम सब जानते हैं। ऐसे में बीते 21 अगस्त को जब मुनस्यारी के मालूपाती में नाले का जलप्रवाह रुकने से झील बनी तो ग्रामीण डर से सहम गए। पिथौरागढ़ के इस क्षेत्र में लगातार जारी बारिश के बाद एक विशाल चट्टान टूटकर नाले में जा गिरी थी। जिससे पानी का बहाव रुक गया और एक झील का निर्माण हो गया।
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बारिश क्योंकि अब भी थमी नहीं है, इसलिए गांव के करीब झील बनने से ग्रामीण डरे हुए थे। आम जनमानस की सुरक्षा को देखते हुए पिथौरागढ़ प्रशासन ने झील के स्थलीय निरीक्षण के लिए समिति का गठन किया। जिसमें भूवैज्ञानिक और सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अलावा एसडीआरएफ के अधिकारी भी शामिल थे। 25 अगस्त को ये टीम कई किलोमीटर पैदल चलकर मालूपाती पहुंची। वहां झील का निरीक्षण किया। एसडीआरएफ टीम के प्रभारी एसआई देवेंद्र सिंह ने बताया कि झील की लंबाई 130 मीटर, चौड़ाई 30 मीटर और गहराई 5 से 7 मीटर है। झील के मुहाने से पर्याप्त मात्रा में पानी डिस्चार्ज हो रहा है, इसलिए फिलहाल खतरे की संभावना नहीं है। टीम ने 22 अगस्त को भी झील का निरीक्षण किया था। दोबारा निरीक्षण के दौरान भी किसी तरह के खतरे के संकेत नहीं मिले। निरीक्षण का काम पूरा होने के बाद टीम वापस लौट गई।