उत्तराखंड आपदा के बीच देवदूत बने सेना के जवान, 300 से ज्यादा लोगों को बचाया
आपदा के दौरान तुरंत बचाव कार्य में जुटने वाले जवानों ने एक बार फिर बता दिया कि चाहे वो सरहद पर हों या कहीं और, एक फौजी हमेशा अपना कर्तव्य निभाता है।
Oct 20 2021 2:04PM, Writer:Komal Negi
प्रदेश में दो दिनों की बारिश से आई आपदा में 46 लोग अपनी जान गंवा बैठे। सैलाब और मलबे ने कई जिंदगियों को लील लिया। हालात जब बेकाबू होने लगे तो सेना के जवान देवदूत बनकर आए और रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गए। इन जवानों की बदौलत सैकड़ों लोगों की जिंदगी बचा ली गई। वो सेना का आभार जताते नहीं थक रहे। आपदा के दौरान तुरंत बचाव कार्य में जुटने वाले जवानों ने एक बार फिर बता दिया कि एक फौजी हमेशा अपना कर्तव्य निभाता है। चाहे वो सरहद पर हो या फिर कहीं और, मगर देश के लिए उसका प्यार और जज्बा कभी कम नहीं होता। देश के भीतर जब किसी भी तरह की समस्या आती है तो यही फौजी देवदूत बन जाते हैं। कुमाऊं में भी सेना के जवान लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हैं। यहां नैनीताल में सेना की टुकड़ी ने 6 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर 30 लोगों को बचाया। टनकपुर में सेना की मदद से 283 ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। इनमें 55 बच्चे भी शामिल थे।
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18 अक्टूबर को भारी बारिश के चलते नैनीताल झील ओवरफ्लो हो गई। इससे तल्लीताल के लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया। झील ओवरफ्लो होने के कारण कई दुकानदार भी फंस गए। तब जिला प्रशासन के अनुरोध पर पंचशूल ब्रिगेड की टुकड़ी को मदद के लिए भेजा गया। इस टीम ने छह घंटे के रेस्क्यू के बाद 30 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। टनकपुर के अंबेडकर गांव में सेना की टुकड़ियों ने 283 ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। इसी तरह कोसी नदी के तेज बहाव के बीच फंसे वन ग्राम सुंदरखाल के लोगों को बचाने के लिए सेना के जवानों ने हेलीकॉप्टर की मदद ली। यहां हेलीकॉप्टर से 25 ग्रामीणों को बचाया गया, जबकि छह लोगों को राफ्ट की मदद से निकाला गया। सोशल मीडिया पर रेस्क्यू ऑपरेशन की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं। लोग सेना के जज्बे और सेवाभाव की तारीफ कर रहे हैं, दूसरों की जान बचाने वाले फौजियों को सैल्यूट कर रहे हैं।