अलर्ट: जोशीमठ पर मंडरा रहा है बड़ी आपदा का खतरा, जल्द होगा भूगर्भीय सर्वेक्षण
जोशीमठ (Joshimath Geological Survey) में लगातार बढ़ते जा रहे भूस्खलन की दशहत से यहां कई जीवन सहमे हुए हैं. पिछले दिनों क्षेत्र में हुई बारिश ने भूस्खलन का खतरा और भी बढ़ा दिया है.
Nov 11 2021 7:41PM, Writer:साक्षी बड़थ्वाल
सीमान्त जिला चमोली के जोशीमठ (Joshimath Geological Survey) में भूस्खलन, भूकम्प, भूमि धंसाव, बादल फटने व अतिवृष्टि से लगभग तीन दर्जन से अधिक गावों में सैकड़ों परिवार हर रोज खतरे के साए में जीने को मजबूर हैं. जोशीमठ, चमोली, पोखरी, कर्णप्रयाग, दशोली व घाट के सैकड़ों परिवारों की रूह अब हल्की बारिश से भी कांपने लगती है. क्षेत्र में लगातार बढ़ते जा रहे भूस्खलन की दशहत से यहां कई जीवन सहमे हुए हैं. पिछले दिनों क्षेत्र में हुई बारिश ने भूस्खलन का खतरा और भी बढ़ा दिया है. बता दें की बीते 18, 19 अक्टूबर को हुई भारी बारिश के बाद जोशीमठ नगर के निचले इलाकों में भारी नुकसान हुआ. आज 18 और 19 अक्टूबर को हुई बारिश को 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन उसके कारण यहां काफी क्षति हुई है. बुनियादी सुविधाओं से लोग वंचित हो गए हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत सड़कें बंद होने की वजह से हो रही है. जिससे स्थानीय लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कई जगहों पर विद्युत लाइनें क्षतिग्रस्त होने की कगार पर हैं, वहीँ दूसरी तरफ कई खेत खलिहान बर्बाद हो गए और हरे भरे जंगल भी लैंडस्लाइड की चपेट में आ गए.
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भूगर्भीय सर्वे कराने का फैसला
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इन सब के मद्देनज़र स्थानीय प्रशासन ने जोशीमठ नगर की सुरक्षा के लिए भूगर्भीय सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया है. बता दें की इससे पहले स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन से मांग की थी कि जल्द से जल्द जोशीमठ नगर के अस्तित्व को बचाने के लिए भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया जाए. गौरतलब है कि बीते दिनों हुई भारी बारिश की वजह से जोशीमठ के कई गांवों में भूस्खलन से पैदल रास्ते टूटे हुए हैं. महिलाएं घास ले जाने के लिए जान जोखिम में डालकर नदी, नालों को पार करने के लिए मजबूर हैं.
लोगों की परेशानी बढ़ी
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वहीं, स्कूली बच्चे भी जान जोखिम में डालकर इन खतरनाक रास्तों से गुजरने को मजबूर हैं. वहीँ दूसरी तरफ लोक निर्माण विभाग जोशीमठ, नगरपालिका जोशीमठ (Joshimath Geological Survey) के अधिकारियों की कार्यशैली का आलम यह है कि दोनों विभाग आपस में तालमेल नहीं बना पा रहे हैं, जिसकी वजह से समस्याएं और बढ़ गई हैं. और विभागों की लापरवाही का खामियाजा स्थानीय ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है.