उत्तराखंड में चीन सीमा से सटी सड़कें हों मजबूत, कहीं 1962 जैसी नौबत न आए- सुप्रीम कोर्ट
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भारतीय सेना को भारत-चीन सीमा (Uttarakhand China Border Road Supreme Court) तक भारी वाहनों को ले जाने के लिए चौड़ी सड़कों की जरूरत है, 1962 जैसे हालात पैदा न हों।
Nov 11 2021 7:49PM, Writer:Komal Negi
पड़ोसी देश चीन हमारे देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। उत्तराखंड के 3 जिलों की सीमा चीन से सटी है और यहां से भी जब तब चिंता बढ़ाने वाली खबरें आती रहती हैं। कुछ महीने पहले बाड़ाहोती क्षेत्र (Uttarakhand China Border Road Supreme Court) में चीनी सैनिकों की गतिविधियां देखी गई थी। स्थानीय लोगों के हवाले से बताया गया कि यहां चीनी सैनिक घूमते नजर आए। यह लोग होतीगाड़ तक पहुंच गए थे। उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा करीब 345 किलोमीटर लंबी है। भारत की ओर से चीन सीमा क्षेत्र में सड़कों का विस्तार युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इस बीच केंद्र सरकार ने चीन सीमा से सटे इलाकों में बनने वाली सड़कों को लेकर जरूरी बात कही है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चीन ने तिब्बत क्षेत्र में व्यापक निर्माण कार्य कर लिया है। ऐसे में भारतीय सेना को भारत-चीन सीमा तक भारी वाहनों को ले जाने के लिए चौड़ी सड़कों की जरूरत है, ताकि 1962 के युद्ध के दौरान बनी स्थिति का सामना नहीं करना पड़े। आगे पढ़िए
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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऋषिकेश से गंगोत्री, ऋषिकेश से माणा, टनकपुर से पिथौरागढ़ जैसी फीडर सड़कों की जरूरत है। ये सड़कें चीन से सटी उत्तरी सीमा की ओर जाती हैं, और इन्हें देहरादून व मेरठ के सैन्य कैंपों से जोड़ा जाएगा। देहरादून व मेरठ में मिसाइल लांचर्स व भारी गोला बारूद का स्टॉक है। सेना को आपात स्थिति के लिए तैयार रहना होगा। सीमा के पार चीन ने हवाई पट्टियां, सड़कें और रेलवे लाइनों का व्यापक ढांचा तैयार कर लिया है। यह सब वहां स्थाई रूप से हो गया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस विक्रमनाथ की पीठ को एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत चीन सीमा पर मौजूदा घटनाक्रम को देखते हुए सेना को बेहतर सड़कें चाहिए। उन्होंने आठ सितंबर, 2020 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में संशोधन की मांग की।
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संशोधन में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को महत्वाकांक्षी चारधाम राजमार्ग परियोजना, जो चीन सीमा तक जाती है, की सड़कों की चौड़ाई 5.5 मीटर रखने को कहा गया था। इस 900 किमी की सामरिक सड़क परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चारधामों को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है। एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि अगर सड़क टू-लेन नहीं बनी तो इसे बनाने का उद्देश्य विफल हो जाएगा। इसलिए डबल लेन या 7.5 मीटर चौड़ाई की अनुमति दी जानी चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि सेना को सीमा (Uttarakhand China Border Road Supreme Court) तक बेहतर सड़कें चाहिए। वह इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकती कि वहां प्रतिकूलता है इसलिए आधारभूत ढांचे का निर्माण जरूरी है।