ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से मांगने पर निसंतान दंपतियों (Srinagar Garhwal Kamleshwar Temple Khadratri Puja) को संतान की प्राप्ति होती है।
Nov 17 2021 2:16PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
उत्तराखंड की भूमि देवों की भूमि के नाम से प्रचलित है। यहां पर ऐसी कई जगह मौजूद हैं जिस पर लोगों का अटूट विश्वास है और वह विश्वास सदियों से चला आ रहा है। कई जगहें ऐसी अस्तित्व में हैं, जहां पर आस्था विज्ञान के ऊपर भारी पड़ता है और ऐसे कई चमत्कार हो जाते हैं जिनके बारे में कल्पना करना भी हमारे लिए मुश्किल है। आज हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके ऊपर कई लोगों का वर्षों से अटूट विश्वास रहा है। हम बात कर रहे हैं श्रीनगर के कमलेश्वर मंदिर (Srinagar Garhwal Kamleshwar Temple Khadratri Puja) की। यह मंदिर कई वर्षों पुराना है और सैकड़ों लोग इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं। आज का दिन बेहद खास है और इस दिन मंदिर के अंदर अलग ही रौनक देखने को मिलती है। कोरोना काल के बीच में हजारों लोगों की भीड़ कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी यानी कि आज के दिन कमलेश्वर मंदिर में हर साल लगती है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से मांगने पर निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि जो भी दंपति सच्चे मन से कमलेश्वर मंदिर में भगवान शिव की आराधना करते हैं उनको अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है जिस कारण आज श्रीनगर के कमलेश्वर के मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी हुई।
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क्या है खड़रात्रि पूजा
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कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी के शुभ दिन के अवसर पर जो भी निसंतान दंपति सच्चे मन से इस मंदिर में आकर भोलेनाथ को याद करता है उनको संतान प्राप्ति अवश्य होती है। भले ही इस बात पर विज्ञान भरोसा ना करे मगर कमलेश्वर मंदिर में यह कई सालों से मान्यता चलती आ रही है और इस दिन कई निसंतान दंपति संतान प्राप्ति के लिए इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं।
मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़
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श्रीनगर स्थित कमलेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी हुई है। कोरोना काल के बीच में भी भगवान शिव के दरबार में लोगों की आवाजाही सुबह से हो रही है। चलिए आपको कमलेश्वर मंदिर के उस अनुष्ठान के बारे में बताते हैं जिसका पालन कर निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति है। कमलेश्वर मंदिर में " खड़ा दीया " की एक अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है। आइए आपको बताते हैं कि यह खड़े दीए का अनुष्ठान आखिर क्यों माना जाता है और क्यों लोगों की इसके ऊपर अपार श्रद्धा है। आगे पढ़िए
ये है खड़रात्रि की कहानी
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मान्यता है कि भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र की प्राप्ति के लिए कमलेश्वर मंदिर में भगवान शिव की आराधना की थी और व्रत के अनुसार भगवान विष्णु को सौ कमल शिव की आराधना के दौरान शिवलिंग में चढ़ाने थे मगर भगवान शिव ने उनकी भक्ति के परीक्षा के लिए 99 कमल के बाद एक कमल को छुपा दिया जिसके बाद अपनी भक्ति को साबित करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने ही एक नेत्र को कमल के जगह अर्पण कर दिया।
जब प्रसन्न हुए थे महादेव
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जिसके बाद विष्णु की भक्ति से खुश होकर भगवान शिव ने उनको सुदर्शन चक्र दिया और उसके बाद से ही भगवान विष्णु के नेत्रों को कमलनयन भी कहा जाता है। माना जाता है कि विष्णु भगवान की पूजा को एक निसंतान दंपति अपनी आंखों से स्वयं देख रहा था जिसके बाद उन्होंने भी इसी विधि-विधान से भगवान की पूजा अर्चना की और उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई।
विधि विधान से होती है पूजा
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उस समय एक निसंतान दंपति भी अपनी आंखों से स्वयं देख रहा था जिसके बाद उन्होंने भी इसी विधि-विधान से भगवान की पूजा अर्चना की और उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी। तबसे "खड़े दीए" की यह परंपरा चली आ रही है और संतान प्राप्ति के लिए आज के दिन दंपति यह अनुष्ठान करते हैं।
पुलिस बल तैनात
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आज श्रीनगर में कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी के दिन कई लोग मंदिर में दर्शन के लिए आ रहे हैं और मंदिर परिसर में व्यवस्थाओं को बनाने के लिए पुलिस बल ने विशेष इंतजाम किए हैं। भीड़ को देखते हुए अन्य जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल श्रीनगर (Srinagar Garhwal Kamleshwar Temple Khadratri Puja) में तैनात किया गया है।