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उत्तराखंड शहीद सम्मान यात्रा: शहीदों के परिवारों ने किया मिट्टी देने से इनकार, याद दिलाए वादे

पिथौरागढ़ जिले के शहीद बहादुर सिंह रावल (BJP Shaheed Samman Yatra) के परिजनों ने अपने आंगन की मिट्टी देने से इनकार कर दिया.
Nov 24 2021 12:48PM, Writer:साक्षी बड़थ्वाल

उत्तराखंड सैन्य बहुल राज्य है. राज्य में डेढ़ लाख से ज्यादा पूर्व सैनिक और सैनिक विधवा हैं. उत्तराखंड के तीन हजार से ज्यादा सैनिक हर साल रिटायर होते हैं. आर्म्ड फोर्सेस (आर्मी, नेवी और एयरफोर्स) में उत्तराखंड से अभी करीब 70 हजार सैनिक हैं. राजनीति के लिहाज से यह संख्या काफी अहम है. पूर्व सैनिकों को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता रहा है और चुनाव में राष्ट्रवाद का मसला भी गरमाता है. आपको बता दें की उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर भाजपा (BJP) तैयारियों में जुटी है. राज्य सरकार द्वारा पांचवें सैन्य धाम का निर्माण किया जा रहा है जिसके लिए प्रत्येक शहीद परिवार (BJP Shaheed Samman Yatra) से मिट्टी ली जा रही है. उत्तराखंड में सैन्य धाम बनाए जाने को लेकर निकाली गई शहीद सम्मान यात्रा की शुरुआत नैनीताल जिले के बिंदुखता गांव स्थित शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के घर शुरू की गई. लेकिन इस दौरान अधिकारियों, विधायक और पूर्व सैनिकों को शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के परिवार के लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी. आगे पढ़िए
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शहीद मोहन नाथ गोस्वामी का परिवार गुस्से में

Shaheed Bahadur Singh Rawal family opposes bjp Shaheed Samman Yatra
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सैनिक सम्मान यात्रा मरणोपरांत अशोक चक्र सम्मानित शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के घर से शुरू हुई. इस दौरान जब सैन्य अधिकारी शहीद के आंगन से मिट्टी उठाने लगे तो परिजनों ने नाराजगी जाहिर करते हुए हंगामा शुरू कर दिया. शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की मां राधिका देवी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 6 साल पहले उसके बेटे ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर किया, उस दौरान कई नेता, अधिकारी, मंत्री और खुद मुख्यमंत्री उनके घर पहुंचे थे और कई घोषणाएं की थीं, जो आज तक पूरी नहीं हुई हैं. शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के परिजनों ने बताया कि शहीद के नाम पर स्कूल का नाम रखे जाने, मिनी स्टेडियम बनाए जाने और उनकी पत्नी को नौकरी देने की बात कही गई थी, लेकिन 6 साल बाद अभी तक उनके बेटे की शहादत को श्रद्धांजलि नहीं मिली, क्योंकि जो घोषणाएं सरकार ने की थीं वो आज हवा हवाई हो गई हैं. ऐसे में वो अपने आंगन से मिट्टी उठाने की इजाजत नहीं देंगे. आगे पढ़िए

शहीद बहादुर सिंह रावल के परिवार ने याद दिलाए वादे

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वहीं बीते दिन पिथौरागढ़ जिले के शहीद बहादुर सिंह रावल के परिजनों ने अपने आंगन की मिट्टी देने से इनकार कर दिया. परिजनों ने शहीद सम्मान यात्रा का भी विरोध किया है. परिजनों का कहना है कि शहादत के समय सरकार ने उनसे जो वादे किए थे, वो आजतक पूरे नहीं हुए हैं. ये दूसरा ऐसा मामला सामने आया है, जहाँ परिजनों ने सैन्य धाम के लिए शहीद के आंगन की मिट्टी देने से मना कर दिया है आपको बता दें की रविवार को सैन्य धाम निर्माण के लिए शहीद के आंगन की मिट्टी लेने अधिकारी अशोक चक्र विजेता शहीद बहादुर सिंह बोहरा के गांव रावलखेत पहुंचे, लेकिन परिजनों व ग्रामीणों ने शहीद सम्मान यात्रा का विरोध करते हुए आंगन से मिट्टी देने से इंकार कर दिया परिजनों ने कहा कि सरकार ने उनके बेटे की शहादत के समय शहीद के सम्मान में गांव को जोड़ने के लिए सड़क निर्माण के वादे किए गए थे, लेकिन समय के साथ सरकार ने इस वादे को भुला दिया, परिजनों का कहना है की सरकार शहीद का सम्मान करना भूल गई है. सैन्य धाम के लिए वे शहीद के आंगन की मिट्टी नहीं देंगे. आपको बता दें की वहां पहुंचे अधिकारी लंबे समय तक परिजनों व ग्रामीणों को मानाने की कोशिश (BJP Shaheed Samman Yatra) करते रहे लेकिन वे सड़क निर्माण की मांग पर अड़े रहे. अंत में अधिकारियों को खाली हाथ ही वापिस लौटना पड़ा.


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