विश्व युद्ध से लेकर आजादी के युद्ध तक, इस गांव के सैकड़ों वीरों ने भारतीय सेना में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है, आज भी इस गांव के 106 लोग सेना में सेवा दे रहे हैं
Nov 24 2021 1:45PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
देवभूमि उत्तराखंड और भारतीय सेना का सदैव से अटूट नाता रहा है। यह एक कभी न टूटने वाला रिश्ता है जो कि भारतीय सेना और देवभूमि के बीच में कायम हो रखा है। यह बात महज कहने भर की नहीं है बल्कि आंकड़े भी यही दर्शाते हैं। यह कर्मभूमि है, और उत्तराखंड के हर गांव से देश की सरहद पर सुरक्षा के लिए हर जवान तैनात है। मगर आज हम आपके लिए एक ऐसी खबर लेकर आए हैं जिसको सुनकर शायद आप आश्चर्यचकित तो होंगे मगर गौरवान्वित भी महसूस करेंगे। हम बात कर रहे हैं एक ऐसे गांव की जहां के हर घर में से कोई न कोई सदस्य भारतीय सेना में अपनी सेवा दे रहा है। भारत तिब्बत चीन सीमा से लगे चमोली जिले के इस गांव के लोगों के अंदर भारतीय सेना में जाने का जज्बा इस कदर शामिल है कि इस गांव के हर घर से कोई ना कोई देश की रक्षा को सरहद पर मुस्तैद है। आगे पढ़िए
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तिब्बत सीमा से लगा है गांव
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जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत तिब्बत चीन सीमा से लगे चमोली जिले के सवाड़ गांव की जहां के हर घर का कोई ना कोई सदस्य भारतीय सेना में सेवा दे रहा है। इस गांव के 106 लोग सेना में सेवा दे रहे हैं। ताज्जुब की बात यह है कि यहां कोई भी परिवार ऐसा नहीं है जो कि सेना में सेवा ना दे रहा हो
हर परिवार का एक सदस्य सेना में
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हर एक परिवार का कोई न कोई सदस्य भारतीय सेना में शामिल है और सरहद पर देश की रक्षा कर रहा है। यह इस गांव की परंपरा है जो कि सालों से चली आ रही है भारतीय सेना इस गांव का जुनून रही है और देश प्रेम गांव के लोगों की रगों में दौड़ता है। प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर देश की आजादी तक कई आंदोलनों में इस गांव के सैनिकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
देवाल से 14 किलोमीटर दूर
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देवाल से 14 किमी की दूरी पर स्थित सवाड़ गांव 317.95 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ गांव है। चमोली जिले के सुदूरवर्ती देवाल विकासखंड में बसे सवाड़ गांव के ग्रामीणों में देश सेवा का जज्बा कूट-कूटकर भरा हुआ है। देश की आजादी से पहले प्रथम विश्व युद्ध में इस गांव के 22 सैनिकों ने युद्ध में हिस्सा लिया था और दुश्मन सेना को धूल चटाई थी। इस दौरान गांव के दो सैनिक वीरगति को भी प्राप्त हुए।
हर विश्व युद्ध में लड़े ये जांबाज
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द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ा तो उस युद्ध में भी ब्रिटिश सेना की ओर से इस गांव के 38 व्यक्तियों ने हिस्सा लेकर अपनी वीरता का प्रदर्शन किया। भारत की आजादी के दौरान ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ हुई लड़ाइयों में भी इस गांव के वीर सैनिकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
देश की आजादी मे अहम योगदान
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देश की आजादी के लिए चले पेशावर कांड में सवाड़ गांव के 17 सैनिकों ने भाग लिया। इतिहास के पन्नों में सवाड़ गांव का नाम हमेशा हमेशा के लिए अमर हो गया है। यहां से प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेने वाले वीरों की याद में शिलापट्ट भी लगाया गया है, जो अमर शहीद स्मारक के रूप में जाना जाता है।
गांव के 106 लोग सरहद पर तैनात
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गांव की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी इस गांव के 106 व्यक्ति सेना में तैनात होकर देश की सरहदों और आंतरिक सुरक्षा में जुटे हुए हैं। सवाड़ गांव की प्रधान कंचना बिष्ट कहती हैं कि उनके गांव के हर घर के व्यक्ति में देश सेवा का जज्बा मौजूद है।