अब उत्तराखंड को मिलेगा मजबूत भू-कानून, बड़े ऐलान की तैयारी में CM धामी
लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार जल्द ही सशक्त uttarakhand bhu kanoon को लेकर भी बड़ी घोषणा करेगी। सबकी निगाहें अब सरकार पर लगी हैं।
Dec 2 2021 3:01PM, Writer:Komal Negi
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रूठे तीर्थ पुरोहितों को मनाने के लिए चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग कर दिया। अधिनियम के विरोध में आंदोलित तीर्थ पुरोहित सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। तीर्थ पुरोहितों के दबाव में सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। देवस्थानम बोर्ड के भंग होने के बाद प्रदेश के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार जल्द ही सशक्त uttarakhand bhu kanoon को लेकर भी बड़ी घोषणा करेगी। तीर्थ पुरोहितों की तरह ही राज्य में विभिन्न संगठनों के बैनर तले सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर लोग आंदोलित हैं। सबकी निगाहें अब सरकार पर लगी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-कानून को लेकर पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में जो कमेटी गठित की है, उसने सात दिसंबर को देहरादून में एक अहम बैठक बुलाई है। बैठक के बाद समिति अब तक मिले 163 सुझावों पर मंथन करेगी। इस दौरान जन सुनवाई भी होगी, जिसके बाद समिति अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे सकती है। देवस्थानम बोर्ड की ही तरह सशक्त भू-कानून भी प्रदेश में बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है।
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धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड भंग कर के विरोधियों के हाथ से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया, लेकिन मजबूत भू-कानून की मांग को लेकर आम आदमी पार्टी से लेकर उत्तराखंड क्रांति दल समेत अन्य सामाजिक संगठन सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले हुए हैं। भू-कानून का विरोध करने वालों का मानना है कि प्रदेश में उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था सुधार अधिनियम 1950 संशोधन कानून 2018 को लागू कर जमीन की खरीद-फरोख्त के नियमों को लचीला बना दिया गया। इसके तहत पहाड़ में उद्योग लगाने के लिए भूमिधर स्वयं भूमि बेचे या उससे कोई भूमि खरीदेगा तो भूमि को अकृषि कराने के लिए अलग से कोई प्रक्रिया नहीं अपनानी होगी। औद्योगिक प्रायोजन से भूमि खरीदने पर भूमि का स्वत: भू उपयोग बदल जाएगा। जनता की मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। समिति ने लोगों से सार्वजनिक सूचना के माध्यम से सुझाव मांगे थे। समिति को अब तक 163 सुझाव मिले हैं। राज्य के बाहर दिल्ली और हिमाचल से भी अप्रवासी उत्तराखंडियों के सुझाव प्राप्त हुए हैं, जिसमें ज्यादातर लोगों ने हिमाचल की तर्ज पर uttarakhand bhu kanoon की मांग की है। अब इन सुझावों पर विचार-विमर्श के बाद जन सुनवाई होनी है।