‘मुझे शहर नहीं बॉर्डर पर होना चाहिए’..दिल ही नहीं मन से भी सच्चे फौजी थे जनरल रावत
मैं सैनिक हूं, मुझे दिल्ली-मुंबई नहीं, बॉर्डर पर रहना चाहिए’ - CDS General Bipin Rawat कर्मों के साथ ही मन से भी सच्चे फौजी थे
Dec 9 2021 2:39PM, Writer:अनुष्का
देश के पहले चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल बिपिन रावत की बीते बुधवार हादसे में हुई मृत्यु के बाद से पूरा हिंदुस्तान रो रहा है। हमारे देश का एक ऐसा महत्वपूर्ण अंश जो हमारे देश के लिए किसी रीढ़ की हड्डी से कम नहीं था वह अंश अब हमेशा-हमेशा के लिए खो गया है। जनरल बिपिन रावत की इस तरह से दुर्घटना में मृत्यु होने के बाद हर कोई शोक में है। बिपिन रावत तन और मन दोनों से एक सच्चे फौजी थे और उन्होंने यह बात अपने जीवन के हर कदम पर साबित की है। 1978 में सेना का हिस्सा बने जनरल रावत हमेशा कहते थे कि एक सैनिक होने के नाते उन्हें हर समय देश की सीमाओं पर होना चाहिए। वे कर्म से ही नहीं, मन से भी पूरी तरह फौजी थे। वे चाहते तो रिटायरमेंट के बाद अपने परिवार के साथ किसी बाहर देश में ऐशो आराम और सुकून की जिंदगी जीते। मगर देश प्रेम के चलते वे कभी निश्चिंत नहीं बैठे। उन्होंने न ही दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में पोस्टिंग लेकर आराम की जिंदगी जीनी चाही। सेवानिवृत्त होने के पश्चात भी देश के प्रति उनका प्रेम कम नहीं हुआ। हर समय उनकी इच्छा यही होती थी कि वे देश के सैनिकों के साथ, उनके बीच में रहें। आगे पढ़िए
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क्या कहते थे General Bipin Rawat
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जनरल रावत हमेशा कहते थे कि उन्हें महानगरों में पोस्टिंग नहीं चाहिए। वे फौजी हैं और वे हर समय देश के बॉर्डर पर सैनिकों के साथ रहना चाहते हैं। जनरल रावत की 1986 में शादी हुई थी। जब उनकी शादी हुई तब भी सेना में कप्तान के तौर पर कार्यरत थे। शादी के बाद शुरुआती दिनों में उनकी पोस्टिंग सीमा पर ही थी। उस समय उनकी दोनों बेटियां छोटी थीं। इस वजह से वह अपने परिवार को खुद से दूर रखते थे। जनरल रावत को लगता था कि परिवार को साथ रखने से एक सैनिक के रूप में जिम्मेदारियां निभाना मुश्किल होता है। इसलिए शुरुआती दिनों में बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी उनकी पत्नी मधुलिका ने अकेले पूरी की।
General Bipin Rawat ने किया था वादा
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उनके साले यशवर्धन सिंह ने जनरल रावत और अपनी बहन मधुलिका से अंतिम मुलाकात के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि दशहरे से ठीक पहले दिल्ली में वे जनरल रावत के घर पर उनसे और अपनी बहन से आखिरी बार मिले थे। इस दौरान काफी देर तक दोनों बातचीत हुई। जनरल रावत ने वादा किया था कि वे 2022 की जनवरी में शहडोल आएंगे। उनकी मौत के बाद से ही पूरे देश में शोक की लहर छा रखी है और सभी की आंखें नम हैं। उनके पैतृक गांव में भी उनके परिजन बार-बार उनको याद कर रो रहे हैं। उनका पूरा गांव सदमे में है।