image: Cracks on the walls of village houses due to rail line

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन से मरोड़ा गांव पर मंडराया खतरा, कहीं खत्म न हो जाए अस्तित्व!

Rishikesh-Karnprayag rail line के निर्माण में जिस तरह के विस्फोटकों का इस्तेमाल हो रहा है, उससे गांवों को नुकसान हो रहा है। पढ़िए..
Dec 24 2021 2:41PM, Writer:कोमल नेगी

खौफ के साये में जीना किसे कहते हैं, ये जानना हो तो रुद्रप्रयाग के मरोड़ा गांव चले आइए। जहां Rishikesh-Karnprayag rail line निर्माण का काम लोगों के लिए दहशत का सबब बन गया है। ये गांव अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। गांव में घरों से लेकर चौक, खेत और गोशालाएं दरारों से पटी हुई हैं। ग्रामीण अनहोनी की आशंका से डरे हुए हैं। हाल ये है कि लोगों को अपना घर-गांव छोड़कर दूसरी जगहों पर शिफ्ट होना पड़ रहा है। गांव के 19 परिवार अन्यत्र शरण ले चुके हैं। प्रभावित परिवार शासन, प्रशासन और आरवीएनएल से सुरक्षित पुनर्वास की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुन नहीं रहा। प्रदेश में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन का काम जोर-शोर से चल रहा है। रुद्रप्रयाग जिले में रेल लाइन 11 गांवों से होकर गुजर रही है। इस रेल लाइन के निर्माण में जिस तरह से विस्फोटकों का इस्तेमाल हो रहा है, उससे गांवों को नुकसान हो रहा है।

कई गांवों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। अगस्त्यमुनि ब्लॉक की रानीगढ़ पट्टी में स्थित मरोड़ा गांव ऐसे ही गांवों में से एक है। यहां मकानों और गोशालाओं में दरारें आ गई हैं। पहले गांव में 40 परिवार रहते थे, जिनमें से 19 परिवार गांव छोड़कर दूसरी जगह चले गए हैं। डरे हुए पशुपालक अपने मवेशियों, गाय, भैंस, बैल, बकरियों को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि Rishikesh-Karnprayag rail line से गांव में सभी आवासीय मकानों, गोशालाओं और खेतों में गहरी व चौड़ी दरारें पड़ी हैं, जो दिनोंदिन बढ़ रही हैं। आए दिन हो रहे विस्फोटों से लोग सहमे हैं। उनके मकान और अन्य संपत्तियां कभी भी मलबे के ढेर में समा सकती हैं। वहीं जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग मनुज गोयल का कहना है कि दूसरी जगह शरण लेने वाले 19 परिवारों का किराया आरवीएनएल वहन कर रहा है। आरवीएनएल को गांव के विस्थापन को लेकर भी कार्रवाई करने को कहा गया है।


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