उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले हरदा ने बढ़ा दी हलचल, बड़े उलटफेर की संभावना
माना जा रहा है कि Harish Rawat जल्दी ही Uttarakhand Kranti Dal का हाथ थाम सकते हैं। ये Uttarakhand Assembly Election से पहले बड़ी हलचल होगी।
Dec 24 2021 3:28PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
Uttarakhand Assembly Election से पहले Harish Rawat के Uttarakhand Kranti Dal में जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। जहां एक ओर अन्य पार्टियां चुनावों की जोरों शोरों से तैयारियों में जुट चुकी है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के बीच द्वंद है कि खत्म नहीं हो रहा है। चुनावों की तैयारियों तो दूर की बात है अभी प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी और प्रख्यात पार्टी से अपने लोग ही नहीं संभल रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य चेहरे हरीश सिंह रावत के बयान के बाद कांग्रेस में उथल पुथल मच गई है। हरदा ने विपक्षी पार्टी पर नहीं सीधे पार्टी लीडरशिप पर हमला बोल दिया है। उन्होंने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर अपनी पार्टी के खिलाफ भड़ास निकाली है। हरीश रावत ने लिखा 'है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र में तैरना है। सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने की बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।' इसके बाद उनका एक ट्वीट और है जिसमें उन्होंने लिखा है 'सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है।' एक और ट्वीट कर उन्होंने पार्टी पर।हमला करते हुए कटाक्ष किया 'चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है "न दैन्यं न पलायनम्"। बड़ी उपापोह की स्थिति में हूं। नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
पूर्व सीएम हरीश रावत की इंटरनेट मीडिया पर इस पोस्ट से कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति एक बार फिर से गरमा चुकी है और सियासी गलियारों में भी हलचल मच चुकी है। हरीश रावत के समर्थन में राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा, जागेश्वर विधायक व पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और धारचूला विधायक हरीश धामी खुलकर उतर चुके हैं। तीनों ने कहा है कि हरदा के बग़ैर कांग्रेस पार्टी अधूरी है और पार्टी के कार्यकर्ताओं से लेकर आम लोग की पसंद भी हरीश रावत है। हरीश रावत के पक्ष में गोविंद सिंह कुंजवाल ने तो यह तक कह दिया है कि जहां पर हरदा जाएंगे वह भी वही रास्ता चुनेंगे। विधायक धामी ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर हरदा को सीएम नहीं बनाया तो अलग लाइन में खड़े होने वालों में वह सबसे आगे होंगे। उत्तराखंड की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के अंदर जिस प्रकार से दो गुट बन चुके हैं और दोनों एक दूसरे से लड़ने भिड़ने के लिए तैयार हैं ऐसे में यह तो साफ है कि कांग्रेस पार्टी को चुनाव लड़ने से पहले अपनी पार्टी के अंदर चल रहे इस द्वंद को खत्म करना जरूरी है। अगर कांग्रेस ऐसा करने में सफल नहीं हुई तो आने वाले चुनावों में कांग्रेस पार्टी को हार का मुंह ताकना पड़ सकता है।
हरदा गुट से जुड़े नेता पार्टी के विरोधी खेमे पर अब खुलकर निशाना साध रहे हैं और हरदा को समर्थन दे रहे हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष होने की वजह से पार्टी के सभी कार्यक्रम हरीश रावत के नेतृत्व व मार्गदर्शन में होने चाहिए थे। मगर कुछ लोगों ने अलग रैली और कार्यक्रम ही शुरू कर दिए। विवाद खड़ा होना तो स्वाभाविक है। तमाम सर्वे कह चुके हैं कि हरीश रावत से बड़ा नेता उत्तराखंड में कोई नहीं है। वह जनता की पहली पसंद हैं। तो वहीं हरदा गुट के नेता विधायक धारचूला हरीश धामी ने कहा है कि आपदा के वक्त राज्य की कमान मिलने के बावजूद हरीश रावत ने केदारनाथ को संवारने में अपनी पूरी ताकत लगा दी। जनसभा, रैली समेत अन्य कार्यक्रमों के जरिये केवल हरदा ही हैं जो कि कांग्रेस के लिए माहौल बना रहे हैं। उन्होंने संपूर्ण जीवन पार्टी और राज्य को समर्पित कर दिया है। तो वहीं राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा का कहना है कि हरीश रावत उत्तराखंड कांग्रेस के मुख्य चेहरे हैं और उनको ही सीएम का चेहरा घोषित करना चाहिए। राजनीति के जानकार कहते हैं कि Harish Rawat जल्दी ही Uttarakhand Kranti Dal का हाथ थाम सकते हैं। अगर ये हुआ तो Uttarakhand Assembly Election से पहले ये सबसे बड़ी खबर होगी।