उत्तराखंड में बनेंगे दुनिया के दो सबसे लंबे रोप-वे, जानिए 1800 करोड़ के प्रोजक्ट की खूबियां
उत्तराखंड के Hemkund Sahib Ropeway और केदारनाथ-सोनप्रयाग के बीच Kedarnath Ropeway 1800 करोड़ की लागत से बनेंगे
Jan 9 2022 8:00PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
उत्तराखंड में चुनाव नजदीक हैं। तारीख की घोषणा भी कर दी है। सरकार जनता का दिल जीतने की कोशिश में है। इसी बीच एक और बड़ा फैसला सरकार ने लिया है। हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर Hemkund Sahib Ropewayऔर केदारनाथ-सोनप्रयाग के बीच Kedarnath Ropeway प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए सरकार ने टेंडर जारी कर दिया है। जी हां, केंद्र सरकार ने दोनों रोपवे परियोजना के लिए 1800 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इस परियोजना में टेंडर जारी करने की जानकारी स्वयं केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपने ट्विटर हैंडल से दी। आपको बता दें कि हेमकुंड साहिब की सिख धर्म में बहुत अधिक मान्यता है। हिन्दुओं के लिए जैसे केदारनाथ धाम का विशेष महत्व है, उसी तरह से सिखों के लिए हेमकुंड साहिब विशेष महत्व रखता है। इसी के अलावा गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक श्रद्धालुओं को 16 किलोमीटर का पैदल सफर करना होता है, जिसमें पूरा दिन लग जाता है। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोप-वे बनने से यह सफर सिर्फ एक घंटे में तय हो जाएगा। इससे न केवल वक्त बचेगा बल्कि बुजुर्गों और बच्चों को दर्शन करने में आसानी होगी। भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 7 जनवरी को सोनप्रयाग से केदारनाथ तक और गोविंद घाट से हेमकुंड साहिब तक केबल कार रोपवे के निर्माण, संचालन और रख-रखाव के लिए निजी क्षेत्रों से आवेदन आमंत्रित किया है। आगे जानिए इनकी खूबियां
सोनप्रयाग से केदारनाथ वाया गौरीकुंड से रोपवे बनेगा जबकि हेमकुंड-केदारनाथ के लिए वाया घांघरिया से रोप वे की लाइन होगी। केदारनाथ-सोनप्रयाग रोपवे की परियोजना 13 किलोमीटर लंबी होगी और यह 985 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा। जबकि 12.6 किलोमीटर लंबी गोविंद घाट से हेमकुंड रोपवे परियोजना की लागत 764 करोड़ रुपये है। बताते चलें कि उत्तराखंड में सिख समुदाय के धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब की यात्रा सुगम-सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से रोपवे परियोजना निर्माण कार्य होना तय हुआ है। मगर चुनावी लिहाज से देखा जाए तो सरकार ने यह बड़ा दांव चला है। दरअसल पिछले साल से किसान आंदोलन के बाद भाजपा और सिख समुदाय के बीच दूरियां बढ़ गई हैं। उत्तराखंड में भी किसान आंदोलन का असर देखने को मिला। यहां किसानों ने धरना प्रदर्शन किया और सरकार के प्रति विरोध जताया। कृषि कानून वापस लेने के बाद सरकार अब संबंधों को दोबारा मधुर करने में जुट गई है। अब हेमकुंड साहिब पर चुनावों के समय ही Hemkund Sahib Ropeway और Kedarnath Ropeway के निर्माण का ऐलान चुनावी स्टंट है या फिर कुछ और, यह तो कोई नहीं जानता, मगर यह तो तय है कि सरकार अधिक से अधिक लोगों को अपनी तरफ करने का पूरा प्रयास करती दिखाई दे रही है।