उत्तराखंड चुनाव में 22 सीटें बदलेंगी पूरा समीकरण, अब और भी रोमांचक होगी जंग
एक वक्त था जब प्रदेश में चुनाव विकास, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा और राष्ट्रवाद के नाम पर लड़े जाते थे, लेकिन अब चुनाव का रुख सांप्रदायिक मुद्दों की ओर है।
Feb 6 2022 6:30PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड....वो पर्वतीय राज्य, जहां रोजगार के अवसर सीमित हैं। पलायन के चलते गांव के गांव खाली हो गए हैं। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं, जिन अस्पतालों में डॉक्टर हैं, वहां तक पहुंचने के लिए सड़कें नहीं हैं। अस्पताल पहुंचने की कोशिश में कई प्रसूताएं रास्ते में दम तोड़ देती हैं। सरकारी स्कूलों की सुध नहीं ली जा रही, कोरोना काल में हालात और बिगड़े हैं। इन तमाम मुद्दों के होते हुए भी इस बार उत्तराखंड में चुनावी रुख सांप्रदायिक मुद्दों की ओर मुड़ता दिख रहा है। पिछले दिनों मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा हर जगह छाया रहा। सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी तस्वीरें और वीडियो वायरल किए गए। जिनका ताल्लुक संप्रदाय विशेष से है। पहले कांग्रेस नेता का मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने का बयान सामने आया। फिर बीजेपी के कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का मस्जिद से निकलने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसके बाद इस चुनाव को सांप्रदायिक रंग देकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। कुल मिलाकर विधानसभा चुनाव 2022 के लिए राजनीतिक दल तरह-तरह के चुनावी हथकंडे अपना रहे हैं। तुष्टिकरण की कोशिशें भी दिखाई दे रही हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि प्रदेश की 22 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। आगे पढ़िए
देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर के अलावा पौड़ी जिले की कुछ विधानसभाओं में मुस्लिम वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है। लिहाजा बेहद कड़े मुकाबले को देखते हुए राजनीतिक दल तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। एक वक्त था जब प्रदेश में चुनाव विकास, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा और राष्ट्रवाद के नाम पर लड़े जाते थे, पर अब चुनाव का रुख सांप्रदायिक मुद्दों की ओर है। बीजेपी के मीडिया प्रभारी और प्रवक्ता सुरेश जोशी कहते हैं कि बीजेपी सिर्फ विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ती है कांग्रेस मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर तुष्टिकरण की राजनीति कर वोट बटोरना चाहती है। वहीं कांग्रेस ने भी बीजेपी पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि बीजेपी हमेशा से तुष्टिकरण की राजनीति करती आई है। इस बार विधानसभा चुनाव को वह सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों में जुटी है। बता दें कि उत्तराखंड में 82 फीसदी से ज्यादा हिंदू वोट है तो वहीं, साढ़े 13 फीसदी वोट मुस्लिम हैं। प्रदेश की 70 विधानसभाओं में 22 सीटें ऐसी हैं, जहां पर दलित और मुस्लिम अपना दबदबा रखते हैं। यही वजह है कि राजनीतिक दल इस चुनाव में हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेलने से भी पीछे नहीं हट रहे।