उत्तराखंड चुनाव में 13 सीटों पर बदले समीकरण, अपने ही डुबा रहे BJP-कांग्रेस की लुटिया
अब चुनावों के ऊपर फोकस करें या फिर पार्टी के अंदर ही उठ रहे बगावती स्वरों को संभालें, यह दोनों पार्टियों के लिए बड़ी दुविधा है।
Feb 11 2022 7:38PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में ज्यादा समय नहीं बचा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने हर सीट पर से अपने प्रत्याशियों के ऊपर मुहर लगा दी है मगर हर बार की तरह इस बार भी विरोधी स्वर कम नहीं हो रहे हैं। अब चुनावों के ऊपर फोकस करें या फिर पार्टी के अंदर ही उठ रहे बगावती स्वरों को संभालें, यह दोनों पार्टियों के लिए बड़ी दुविधा है। 13 सीटों पर बागियों ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को उलझा कर रख दिया है। दोनों ही दलों को इन सीटों पर बागियों की वजह से बुरी तरह जूझना पड़ रहा है। इससे पार्टियों के समीकरण भी गड़बड़ा कर रह गए हैं। दरअसल राज्य में इस बार के चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के अंदर विरोधी स्वर काफी अधिक बढ़ गए हैं और बड़े स्तर पर बगावत हुई है। दोनों ही दलों के कई नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टियों के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है और टिकट वितरण से असंतुष्ठ होकर चुनाव मैदान में बागी बनकर उतर गए हैं। अपनी ही पार्टी के लोग जब विरोध कर रहे हो तो दोनों पार्टियों के लिए परिस्थिति संभालना मुश्किल प्रतीत हो रहा है। जिन सीटों पर विरोधी स्वर अपने चरम पर है और नेता पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसी सीटों पर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की दिक्कतें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। राज्य में इस बार भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस से अधिक सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है जिससे पार्टी के प्रत्याशियों के साथ ही रणनीतिकारों की टेंशन बढ़ी हुई है। कांग्रेस ने समय रहते परिस्थितियां संभाल ली हैं इसलिए कांग्रेस के अंदर बगावती स्वर पहले के मुकाबले कम हैं। दोनों दलों ने बगावत करने वालों के खिलाफ एक्शन लिया है लेकिन इसके बावजूद पार्टियों को बागियों की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
भाजपा बागी प्रत्याशियों के मैदान में होने की वजह से आठ सीटों पर उलझी हुई नजर आ रही है। धर्मपुर में बीर सिंह पंवार, कोटद्वार में धीरेंद्र चौहान, डोईवाला में जीतेंद्र नेगी, रुद्रपुर से राजकुमार ठुकराल, भीमताल से मनोज शाह, धनोल्टी से महावीर रांगड, घनसाली से दर्शन लाल और लालकुंआ सीट से पवन चौहान की वजह से पार्टी के प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। पार्टी इन नेताओं पर कड़ी कार्रवाई कर चुकी है मगर इसके बावजूद समीकरण उलझने का खतरा बना हुआ है। वहीं कांग्रेस भी पांच सीटों पर उलझी हुई है। बता दें कि उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करने से पहले ही कांग्रेस में बगावत के सुरों के उठने का अंदाजा लगाते हुए दिल्ली से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को परिस्थितियों संभालने के लिए भेज दिया था मगर उसके बावजूद भी कांग्रेस पूरी तरह बगावती सुरों को उठने से रोक नहीं पाई। बगावत की वजह से कांग्रेस को मुख्य रूप से पांच सीटों पर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के सामने यमुनोत्री सीट पर संजय डोभाल, रुद्रप्रयाग में मातबर सिंह कंडारी, घनसाली में भीमलाल आर्य, रामनगर में संजय नेगी और लालकुंआ सीट पर संध्या डालाकोटी ने पार्टी के प्रत्याशियों को मुश्किल में डाला हुआ है। हालांकि कांग्रेस पहले से ही इस बात को लेकर सतर्क हो गई थी और इस वजह से कांग्रेस ने समय रहते परिस्थितियां संभाल लीं जिस वजह से कांग्रेस को इस बार पिछले चुनावों के मुकाबले कम विरोध का सामना करना पड़ रहा है, मगर भाजपा के सामने 8 सीटें फंस रखी हैं और बागी नेता प्रत्याशियों के लिए रोड़े बन रहे हैं। अब देखना यह है कि आखिर भाजपा इन बागी नेताओं के विरोधी सुरों को कम करने में किस हद तक कामयाब होती है