उड़ता उत्तराखंड: बॉर्डर के जिलों में स्मैक की लत में डूबे युवा, उत्तरकाशी का सबसे बुरा हाल
नशा तस्करों का रैकेट बहुत शातिर तरीके से अपने काम को अंजाम देता है। इनका पहला टारगेट किशोर और युवा ही होते हैं।
Feb 13 2022 6:57PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में नशे की लत युवाओं और उनके परिवारों को तबाह कर रही है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि अब स्कूल के बच्चे तक ड्रग्स लेने लगे हैं। उत्तरकाशी जिले में कई किशोरों और युवाओं को ड्रग्स की लत इस हालत में पहुंचा चुकी है कि इसके न मिलने पर वो पागलों की तरह व्यवहार करने लगते हैं। सोचिए जिन संतानों के लिए माता-पिता अपनी हर खुशी न्योछावर कर देते हैं, उन्हें नशे की लत में पड़ कर बर्बाद होते देखने पर उनका दिल कितना तड़पता होगा। पिछले दो सालों में उत्तरकाशी जिले में स्मैक और चरस का धंधा बढ़ा है। बीते तीन महीने के अंतराल में जिले में बीस लाख रुपये की स्मैक बरामद की गई है। नशा तस्करों का रैकेट बहुत शातिर तरीके से अपने काम को अंजाम देता है। जिनका पहला टारगेट किशोर और युवा ही होते हैं। जो युवा एक बार स्मैक की लत में पड़ जाते हैं, वो इससे निकल नहीं पाते।
बाद में नशा करने के लिए वो किसी भी तरह का अपराध करने पर उतारू हो जाते हैं। जिले के सीमांत ब्लॉक मोरी और उससे लगे पुरोला ब्लॉक में स्मैक की आमद करीब दस साल पहले ही हो गई थी, लेकिन अब जिला मुख्यालय के आसपास के इलाकों में भी नशे की बिक्री होने लगी है। जिला अस्पताल में स्मैक और चरस की लत से पीड़ित युवाओं के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। किशोरों के नशे की गिरफ्त में होने से परिजन भी बेहद परेशान हैं। जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. सुबेग सिंह कहते हैं कि नशे से आजादी के लिए इलाज के साथ मनोवैज्ञानिक चिकित्सक का परामर्श भी जरूरी है। जिला पुलिस भी नशा तस्करों की धरपकड़ के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है। एसपी प्रदीप राय कहते हैं कि तीन माह के भीतर 20 लाख की स्मैक और 9 लाख की चरस बरामद की गई। कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। युवाओं को स्मैक-चरस की लत से बचाने के लिए पुलिस का अभियान आगे भी जारी रहेगा।